छतरपुर. प्रदेशभर में चल रहे ऑपरेशन मुस्कान अभियान के तहत छतरपुर पुलिस ने 2024 में अब तक 240 से ज्यादा लापता नाबालिगों को खोज निकाला और उनके परिवारों तक उन्हें सुरक्षित पहुंचाया है। इस अभियान के तहत पिछले तीन वर्षों में पुलिस ने 458 बच्चों को विभिन्न राज्यों और शहरों से तलाश कर उनके परिवारों तक पहुंचाया और उनके चेहरे पर मुस्कान लौटाई है। छतरपुर पुलिस ने लगातार तीन वर्षों से हर साल 100 से अधिक नाबालिगों को ढूंढकर उनके परिवारों तक लौटाया है
वर्ष 2021 में 205 बच्चियों को विभिन्न राज्यों से खोजकर उनके परिजनों तक पहुंचाया गया, वहीं, वर्ष 2022 में 160 बच्चियां बरामद की गईं, जबकि उस वर्ष 194 बच्चियां लापता हो गई थीं। वर्ष 2023 में पुलस ने 93 नाबालिगों को तलाशकर उनके परिवारों तक पहुंचाया था। 2024 में सबसे ज्यादा सफलता मिली।
लापता होने के विभिन्न कारण
ऑपरेशन मुस्कान के तहत पुलिस को कई अलग-अलग कारणों से नाबालिगों के लापता होने की जानकारी मिली है। बच्चियां प्रेम-प्रसंग के झांसे फंसने के बाद लापता हुईं, जबकि कुछ बच्चियां शादी के प्रलोभन में घर छोडकऱ भाग गईं। इसके अलावा, कुछ बच्चियां घरेलू झगड़ों या नाराजगी के कारण अपने घर से भाग गईं। कुछ बच्चियां तो सिर्फ घूमने या अलग-अलग कारणो से घर छोडकऱ चली गईं और कुछ बच्चियां अपनी मर्जी से रिश्तेदारी में जाने का बहाना बनाकर घर से निकलीं, लेकिन फिर लौटकर नहीं आईं।
लगातार चलाया अभियान
पुलिस ने लापता नाबालिगों को खोजने के लिए ऑपरेशन मुस्कान अभियान के तहत साल में दो बार विशेष मुहित चलाई। अब तक 5 बार यह अभियान चलाया गया, जिसमें पुलिस ने 458 बच्चियों को विभिन्न राज्यों और शहरों से बरामद किया है। इस अभियान के दौरान गाजियाबाद, लुधियाना, दिल्ली, महाराष्ट्र, और गुजरात जैसे विभिन्न स्थानों से बड़ी संख्या में बच्चियां बरामद की गईं।
कड़ी मेहनत का फल
यह अभियान न केवल पुलिस की मेहनत का परिणाम है, बल्कि इससे यह भी साबित होता है कि ऑपरेशन मुस्कान के जरिए नाबालिगों के लिए सुरक्षित वातावरण बनाने और उन्हें उनके परिवारों तक पहुंचाने के लिए पुलिस निरंतर प्रयास कर रही है। हालांकि, अभी भी कई बच्चियां लापता हैं और पुलिस द्वारा उनकी तलाश जारी है। पुलिस अधिकारियों ने इस अभियान में आम लोगों से सहयोग की अपील की है। उन्होंने कहा कि यदि किसी को भी नाबालिगों के बारे में कोई जानकारी मिले, तो वह तुरंत पुलिस से संपर्क करें ताकि बच्चों को सुरक्षित उनके परिवारों तक पहुंचाया जा सके।