ऑनलाइन लिंक के सहारे पढ़ाई
कालेजों में हिंदी ग्रंथ अकादमी की और से किताबें आनी थी वो नही आई, जिसके लिये कालेज के प्रोफेसरों का कहना है कि वे विद्यार्थियों को आनलाइन लिंक शेयर कर रहे हैे और नोट्स बना कर दे रहे हैं । विद्यार्थियों का कहना है कि वे गूगल, यूटयूब से पढ़ाई कर रहे हैं तो कुछ का कहना है कि वे कोचिंग का सहारा ले रहे हैं।
पिछले साल भी आई थी परेशानी
नई शिक्षा नीति- 2021 को लागू करते समय भी कक्षाओं के सेलेबस में बड़ा बदलाव किया गया, लेकिन नए सेलेबस की किताबें बाजार में नहीं मिल रही हैं। इस कारण से नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी में भी नई शिक्षा नीति की किताबें उपलब्ध नहीं हो पाई थी। इसका खामियाजा यूटीडी (यूनिवर्सिटी टीचिंग डिपार्टमेंट) में पढऩे वाले छात्रों को उठाना पड़ रहा है। यूटीडी में यूजी और पीजी कक्षाओं में 13 हजार नियमित छात्र पढ़ाई कर रहे हैं, इन छात्रों को नई शिक्षा नीति के अनुरूप किताबें नहीं मिल पाई और सीरीज के सहारे पढ़ाई करनी पड़ी।
लाइब्रेरी का भी नहीं मिल पा रहा सहारा
महाराजा कॉलेज छतरपुर का 2021 में महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी छतरपुर में विलय कर दिया गया है। इस विलय के साथ ही 1 लाख से अधिक किताबों वाली कॉलेज की लाइब्रेरी भी अब यूनिवर्सिटी की संपत्ति हो गई है, लेकिन यूनिवर्सिटी में विलय के बाद से लाइब्रेरी को किताबों की खरीदी के लिए कोई बजट नहीं मिला है। बजट नहीं मिलने से लाइब्रेरी ने किताबों की खरीदी नहीं की है। पिछले साल यूनिवर्सिटी रजिस्ट्रार कार्यालय और उच्च शिक्षा विभाग के बीच किताबों की खरीदी के लिए 5 लाख रुपए का बजट स्वीकृत करने के संबंध में पत्राचार हुआ है। लेकिन किताबें नहीं आ सकी। हालांकि ई-बुक्स जरूर आई। लेकिन इस बार फिर कोर्स में परिवर्तन से किताबों का संकट खड़ा हो गया है।
छात्र बोले- किताबें बाजार में भी नहीं मिली, 20 सीरीज के भरोसे
महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विवि के छात्र अंकित प्रजापति और जयवर्धन चौरसिया ने बताया कि वे बीएससी तृतीय वर्ष के छात्र हैं। नई शिक्षा नीति की किताबें बाजार के साथ विवि की लाइब्रेरी में न होने के कारण पढ़ाई में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वे अच्छी से पढ़ाई नहीं कर पाए। पिछले दो वर्षों में जो पढ़ाई की वह भी संबंधित विषय के 20 सीरीज से की। इसलिए प्रथम वर्ष में अच्छे अंक नहीं आए।
इनका कहना है
मैने काम छोड़ दिया है। ये सच है नई शिक्षा नीति की किताबें नहीं मिल पा रही है। कोर्स में परिवर्तन के कारण नई किताबों के छपकर आने में बिंलब से समस्या पिछले साल भी आई थी। पिछले साल लाइब्रेरी में ई-बुक्स आई थी।
अनिल सिरोठिया, लाइब्रेरी प्रभारी