छतरपुर. कैंसर फ्री इंडिया अभियान के तहत जिले में कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से लोगों की जान बचाने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। वर्ष 2015 में कैंसर की एफएनएसी जांच और वर्ष 2018 में वॉयोप्सी की जांच की छतरपुर जिला अस्पताल में शुरूआत करने वाली महिला डॉक्टर ने सीमित संसाधनों से न केवल लोगों को अवेयर किया बल्कि 9 साल में 1400 लोगों की जान बचाई है। इन लोगों की जान इसलिए बची क्योंकि उनकी बीमारी की पहचान समय रहते कर ली गई। छतरपुर जैसे छोटे शहर में इस तरह की जांच की शुरुआत करने वाली डॉ. श्वेता गर्ग जागरुकता के लिए मुहिम चला रही हैं।
अवेयरनेस की कमी को दूर करने अब गांव-गांव जाकर लगा रही कैंप
कैंसर नोडल डॉ. श्वेता गर्ग का कहना है कि कैंसर की डायग्नोसिस सही समय पर होने से 60 फीसदी मरीजों की जान बचाई जा सकी है। लेकिन दुर्गम पहुंच वाले सूदूर ग्रामीण इलाके में लोगों में जागरुकता की कमी के चलते वे बीमारी के लक्षण पहचानने और जांच कराने में देरी करते हैं। इसके लिए उन्होने 2 साल पहले गांव-गांव में जाकर व्यक्तिगत खर्च व प्रयास से अवकाश के दिन कैंप लगाना शुरू किया। कैंप में जागरुकता पॉम्पलेट, संवाद के जरिए लोगों को कैं सर की बीमारी के प्रति अलर्ट किया। दो साल के व्यक्तिगत प्रयासों से अब तक लगाए गए 256 कैंप में 30 हजार लोगों को कैंसर के लक्षण,जांच, इलाज और आयुष्मान कार्ड के लाभ के प्रति जागरुक किया। कैंसर के मरीजों की पहचान की और उन्हें आयुष्मान कार्ड के जरिए शासकीय कैंसर हॉस्पिटल से इलाज कराने के लिए प्रेरित कर ज्यादातर की जान बचाने का काम किया है।
कई प्रकार के होते हैं कैंसर
डॉ. श्वेता गर्ग का कहना है कि वे गांवों में लगातार शिविर लगा रही है। इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाना और समय रहते स्त्री रोगों और कैंसर का इलाज सुनिश्चित करना है। शिविर में महिलाओं को मुफ्त जांच के अलावा आवश्यक परामर्श और स्वास्थ्य संबंधी सुझाव भी दिए गए, जिससे उन्हें इस गंभीर बीमारी के प्रति सतर्क रहने में मदद मिले। पैप स्मीयर की जांच और ह्यूमन पैपीलोमा वायरस टीकाकरण के बारे में भी ग्रामीणों को जानकारी देकर जागरुक किया गया।
स्त्रियों में होते हैं ये कैंसर
उन्होंने बताया कि स्त्री रोग संबंधी कैंसर वे होते है जो महिला के प्रजनन पथ में विकसित होते हैं। गर्भाशय ग्रीवा कैंसर स्त्री रोग संबंधी कैंसर का सिर्फ एक प्रकार है। इसके अलावा ओवरी कैंसर, यूटरस कैंसर, वैजिनल कैंसर, वल्वा कैंसर और सर्वाइकल कैंसरभी होते हैं। इनमें से प्रत्येक कैंसर के लिए अलग अलग जोखिम कारक हैं,जिनमे कुछ मामलों में आनुवांशिकता भी शामिल है । महिलाओं के लिए स्त्री रोग संबंधी कैंसर के प्रकारों ,लक्षणों और संभावित चेतावनी संकेतों के बारे में और स्क्रीनिंग व रोकथाम के बारे में भी जागरुक होना जरूरी है।
कैंसर को मात देने वाले सर्वाइवर्स की कहानी
केस 1
45 वर्षीय महिला निवासी चौबे कॉलोनी छतरपुर ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर है। वह 2023 जनवरी में कैंसर नोडल डॉ श्वेता गर्ग के पास दाएं ब्रेस्ट में गठान की जांच करवाने आई थीं। जांच कर डॉ श्वेता गर्ग ने उनको ब्रेस्ट कैंसर होने की जानकारी दी और इलाज के लिए मोटीवेट किया और लगातार उनका फॉलोअप किया। उ न्होंने भोपाल के कैंसर हॉस्पिटल में इलाज लिया और 2 साल हो जाने के बाद भी वह आज पूरी तरह स्वस्थ हैं।
केस 2
28 वर्षीय नौगांव निवासी महिला को 2023 में उनके दाएं ब्रेस्ट में गठान महसूस हुई, जो 1-2 माह में ही लगभग पूरे ब्रेस्ट में हो गई । उस समय उनकी 2 माह की बच्ची भी थी ,उनके पति बाहर नौकरी करते थे जिस वजह से वह ब्रेस्ट में गठान की समस्या किसी को बता नहीं सकी। कैंसर जांच विशेषज्ञ डॉ श्वेता गर्ग के पास आने पर उनकी ब्रेस्ट की एफएनएसी जांच से दाएं ब्रेस्ट कैंसर का पता चला और डॉ गर्ग ने उनको इस बीमारी कि गंभीरता समझाई और इलाज के लिए मार्गदर्शन और मोटिवेशन दिया। फॉलोअप पर पता चला की दिल्ली के अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है और अब वह बिलकुल स्वस्थ हैं।
केस 3
42 वर्षीय निवासी छतरपुर 2021 में उनको ऐसा महसूस हुआ की दायें ब्रेस्ट में गठान बन गई हो,उस समय कोविड होने की वजह से गठान पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया। समस्या के ज़्यादा बढ़ जाने पर डॉ श्वेता गर्ग के पास आई ,ब्रेस्ट की एफएनएसी जांच से दायें ब्रेस्ट कैंसर का पता चला। डॉ श्वेता गर्ग के द्वारा इलाज का मार्गदर्शन और मोटिवेशन दिया गया । लगातार फॉलो अप पर किया, उन्होंने टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल मुंबई में इलाज लिया और अब 3 साल बाद भी आज वह बिलकुल स्वस्थ हैं।
केस 4
50 वर्षीय महिला को 2022 में उनको अपने बायें ब्रेस्ट में गठान का पता चला। डॉ. श्वेता गर्ग द्वारा लगातार जागरूकता फ़ैलाने की वजह से वह अपने ब्रेस्ट की गठान की जांच करवाने डॉ श्वेता गर्ग के पास आई। ब्रेस्ट की एफएनएससी जांच से ब्रेस्ट कैंसर का पता चल सका और डॉ श्वेता गर्ग के द्वारा मार्गदर्शन और मोटिवेशन से उन्होंने अपना इलाज बनारस के अस्पताल में करवाया और आज वह स्वस्थ हैं।
केस 5-
50 वर्षीय शहडोल निवासी महिला को 2022 में उनको अपने बाएं ब्रेस्ट में गठान होने का पता चला। डॉ श्वेता गर्ग द्वारा लगातार जागरूकता फ़ैलाने की वजह से वह अपने ब्रेस्ट की गठान की जांच करवाने आईं। बहुत ही अर्ली स्टेज में ब्रेस्ट की एफएनएसी जांच से ब्रेस्ट कैंसर का पता चल सका और मोटिवेशन से सही समय पर उन्होंने अपना इलाज बनारस के टाटा कैंसर हॉस्पिटल में करवाया, जहां पर उनकी ब्रेस्ट की मैस्टेक्टमी सर्जरी हुई और अब वह बिलकुल स्वस्थ हैं।
केस 6
50 वर्षीय महिला को 2022 में बाएं ब्रेस्ट में गठान हुई। जागरूकता की वजह से वह डॉ श्वेता गर्ग के पास आई ,ब्रेस्ट की एफएनएससी जांच से ब्रेस्ट कैंसर का पता चला। मार्गदर्शन और मोटिवेशन से उन्होंने अपना इलाज करवाया भोपाल में और आज वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
कैंसर के सामान्य लक्षण
कैंसर के लक्षण उसके प्रकार और स्थान पर निर्भर करते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण हो सकते हैं। शरीर के किसी हिस्से में गांठ बनना, बिना वजह कमजोरी या थकान महसूस होना। वजन में अचानक कमी या बढ़ोतरी, भूख न लगना, दाग-धब्बे, तिल या घाव का आकार, रंग या आकार बदलना, खांसी में खून आना, लंबे समय तक अपच, कब्ज, या दस्त, बिना किसी स्पष्ट कारण के लंबे समय तक दर्द रहना, यूरिन, मल, या मासिक धर्म में असामान्य रक्तस्राव और बार-बार बुखार आना या संक्रमण होना कैंसर के लक्षण हो सकते हैं।
कैंसर से बचाव के उपाय
कैंसर से बचाव के लिए तंबाकू और शराब से बचें, फल, सब्जियां और फाइबर युक्त भोजन, नियमित व्यायाम करें, सूरज की हानिकारक किरणों से बचें, कुछ प्रकार के कैंसर जैसे एचपीवी और हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिए टीकाकरण और शुरुआती अवस्था में पहचान के लिए नियमित जांच करानी चाहिए।
जांच कराने के लिए जिला अस्पताल के सेंट्रल लैब में मिलेगी फ्री सुविधा
डॉ. श्वेता गर्ग ने बताया कि कैंसर के लक्षण समझ आने पर कोई भी जिला अस्पताल के सेंट्रल लैब आकर अपनी जांच फ्री में करा सकता है। इसके लिए वे व्यक्तिगत रुप से हर कैंप में लोगों को जागरुक करने के साथ संपर्क नंबर भी प्रदान करती हैं। डॉ. गर्ग का कहना है कि कैंसर की जांच के लिए शासन की सुविधा का लाभ उठाएं और बिना रुपए खर्च किए बीमारी का पता लगाने से लेकर इलाज तक की सुविधा का लाभ मरीज ले सकते हैं। इसके लिए आयुष्मान कार्ड बनवाने की सलाह वे हर मरीज को देती और मदद भी करती हैं।