दो पोर्टल के जरिए पहचान करता है एआई सिस्टम
जीएसटी के लागू होने के कुछ वर्षो बाद शुरू हुई इस मुहिम में एआइ की मदद ली जा रही है। फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन से सरकारी राजस्व को लगे करोड़ों के चूने के बाद केंद्र व राज्य सरकारें आर्टिफिशिल इंटेलीजेंस (एआई) की मदद ले रही हैं। केंद्र सरकार के बिजनेस इंटेलीजेंस एंड फ्रॉड एनालिस्ट (बीफा) पोर्टल, ई-वे पोर्टल मिलकर ऐसे जीएसटी नम्बर्स की पहचान करेगी जो प्राथमिक तौर पर फर्जी लगते हैं। फिर राज्य को ऐसे मामले भेजे जाएंगे। संबंधित जोन के फील्ड ऑफिसर मौके पर पहुंचकर भौतिक सत्यापन करेंगे।
जीएसटी के लागू होने के कुछ वर्षो बाद शुरू हुई इस मुहिम में एआइ की मदद ली जा रही है। फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन से सरकारी राजस्व को लगे करोड़ों के चूने के बाद केंद्र व राज्य सरकारें आर्टिफिशिल इंटेलीजेंस (एआई) की मदद ले रही हैं। केंद्र सरकार के बिजनेस इंटेलीजेंस एंड फ्रॉड एनालिस्ट (बीफा) पोर्टल, ई-वे पोर्टल मिलकर ऐसे जीएसटी नम्बर्स की पहचान करेगी जो प्राथमिक तौर पर फर्जी लगते हैं। फिर राज्य को ऐसे मामले भेजे जाएंगे। संबंधित जोन के फील्ड ऑफिसर मौके पर पहुंचकर भौतिक सत्यापन करेंगे।
देश में पिछले साल मिली 29273 फर्जी कंपनियां
सरकार की ओर से फेक जीएसटी रजिस्ट्रेशन के खिलाफ वर्ष 2023 में अभियान चलाया गया। वित्त मंत्रालय साल 2023 के आठ महीनों में की गई कार्रवाई का डाटा पेश किया गया है, जिसके मुताबिक फेक इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम के दावों में शामिल 29273 कंपनियों का पता लगाया गया। ये जो आंकड़ा सरकार की ओर से पेश किया गया है ये दिसंबर 2023 तक का है। साल की आखिरी तिमाही में भी 4000 से ज्यादा कंपनियां पकड़ी गईं।
सरकार की ओर से फेक जीएसटी रजिस्ट्रेशन के खिलाफ वर्ष 2023 में अभियान चलाया गया। वित्त मंत्रालय साल 2023 के आठ महीनों में की गई कार्रवाई का डाटा पेश किया गया है, जिसके मुताबिक फेक इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम के दावों में शामिल 29273 कंपनियों का पता लगाया गया। ये जो आंकड़ा सरकार की ओर से पेश किया गया है ये दिसंबर 2023 तक का है। साल की आखिरी तिमाही में भी 4000 से ज्यादा कंपनियां पकड़ी गईं।
वर्ष 2022 में इंदौर में पकड़ाया था 315 करोड़ का फर्जीवाडा़
इंदौर में कूटरचित किरायानामा का इस्तेमाल किया गया। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जियो टैगिंग व व्यवसायिक स्थलों के परीक्षण से पता चला कि इस तरह की कोई व्यवसायिक गतिविधि संचालित ही नहीं की जा रही है। माल वास्तविक रूप प्रदाय किए बिना ही फर्जी बिलों के आधार पर अन्य व्यवसायियों को आईटीसी का लाभ दिया गया और पंजीयन में भी दर्शाए दस्तावेजों में गड़बडिय़ां पाई गई। इंदौर सहित नीमच की कई फर्मों पर एक साथ छापामार कार्रवाई की गई, जिसमें फर्में बोगस यानी कागजों पर ही संचालित मिली। जिनका 315 करोड़ का फर्जीवाड़ा पकडाया था।
इंदौर में कूटरचित किरायानामा का इस्तेमाल किया गया। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जियो टैगिंग व व्यवसायिक स्थलों के परीक्षण से पता चला कि इस तरह की कोई व्यवसायिक गतिविधि संचालित ही नहीं की जा रही है। माल वास्तविक रूप प्रदाय किए बिना ही फर्जी बिलों के आधार पर अन्य व्यवसायियों को आईटीसी का लाभ दिया गया और पंजीयन में भी दर्शाए दस्तावेजों में गड़बडिय़ां पाई गई। इंदौर सहित नीमच की कई फर्मों पर एक साथ छापामार कार्रवाई की गई, जिसमें फर्में बोगस यानी कागजों पर ही संचालित मिली। जिनका 315 करोड़ का फर्जीवाड़ा पकडाया था।
प्रभारी वाणिज्यिक कर अधिकारी गोपीनाथ शर्मा ने बताया कि जो बोगस पंजीयन लेकर ट्रांजेक्शन करते हैं। व्यावसायिक जीएसटी नम्बर लेते हैं, कहीं बिल लगाते हैं या किसी को बिल देते हैं। ऐसी फर्मों का भौतिक सत्यापन करना है कि उनके ट्रांजेक्शन सही हैं या गलत हैं। चिह्नित जीएसटी नम्बरों का भौतिक सत्यापन किया जाता है। जो टैक्स जमा नहीं करते, बिल फाड़ते हैं। वीडीएस ट्रांजेक्शन नहीं है, पता चला कि दुकान है नहीं और जीएसटी नम्बर ले रखा है, बिल फाड़ रहे हैं। इनके भौतिक सत्यापन होना हैं। हमारे कुछ पैरामीटर्स हैं, इन पर भी सत्यापन किया जाएगा।
फोटो- – राज्य कर सहायक आयुक्त कार्यालय