छतरपुर. जिले में निरक्षरों को साक्षर बनाने में अक्षर साथी महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। जहां शिक्षक वेतन लेकर बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं, वहीं अक्षर साथी बिना मेहनताने के गांव-गांव में शिक्षा का उजियारा फैला रहे हैं। नव साक्षरता कार्यक्रम के तहत जिले में लगभग पांच हजार अक्षर साथी साक्षरता दर को बढ़ाने में दिन-रात जुटे हैं। जिले में एक लाख 57 हजार लोग अभी भी असाक्षर हैं। इनमें से 70 हजार से अधिक लोगों को साक्षर करने का लक्ष्य रखा गया है। जिसकी परीक्षा रविवार को आयोजित की गई। जिसमें जिले के 63803 प्रौढ असाक्षरों ने परीक्षा दी।
80 वर्षीय दादी को पढऩा सिखाया
मनिया गांव में बुजुर्गो को गांव की बेटी प्राशा द्विेदी साक्षर कर रही है। समाजिक चेतना केंद्र के जरिए वे गांव की बुुर्जुग महिलाओं को पढऩा लिखना सिखा रही है। नातिन की लगन और प्रेरणा से 80 वर्षीय दादी हल्की बाई ने पढऩा सीखना शुरू किया। अब नातिन की तरह दादी भी साक्षर बन गई है। इसी तरह करारागंज की रीना सेन भी गांव की महिलाओं को साक्षर बनाने के अभियान में जुटी हुई हैं। उन्होंने अपनी 45 वर्षीय मां जमुना सेन को भी साक्षर बना दिया है। रविवार को आयोजित हुई परीक्षा में जिले में ऐसे कई बुजुर्ग शामिल हुए जो अपनी बेटी, नातिन की प्रेरणा से इस उम्र में पढऩा लिखना सीख रहे हैं।
15 साल से ज्यादा आयु के सभी लोग होंगे साक्षर
नव साक्षरता कार्यक्रम के तहत 15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के असाक्षर लोगों को साक्षर बनाने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि असाक्षर लोगों को महत्वपूर्ण जीवन कौशल के माध्यम से मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता का ज्ञान प्रदान किया सके। स्वप्रेरणा से होनहार युवक युवतियों को अक्षर साक्षी बनाया गया है, जो विषय वस्तु की पद्धति को अपनाकर लोगों को पढ़ाकर समझाकर साक्षर बना रहे हैं। इसमें हर 6 माह में एनआईओएस द्वारा परीक्षा कराई जाती है और प्रमाण पत्र प्रदान किए जाते हैं। प्रौढ़ शिक्षा विभाग के जिला सह समन्वयक शफीक अहमद बताते हैं कि साक्षरता कार्यक्रम में संपूर्ण मध्यप्रदेश में छतरपुर तीसरे पायदान पर है।
जिले में 64.9 प्रतिशत साक्षर
बता दें कि जिले की साक्षरता दर 64.9 प्रतिशत है। असाक्षर लोगों को एबीसीडी या अ, ब, स द का ज्ञान नहीं कराते हैं। इसके लिए बहुत ही सरल तरीका अपनाया जाता है। इसमें मुख्य है पहचान, यही शिक्षा का आधार है। मसलन असाक्षरों को मकान, बैंक, नोट, मोबाइल नंबर जैसी बुनियादी बातें लिखना पढऩा सिखाया जाता है। इसके बाद परिवार, मुखिया, गांव और हस्ताक्षर के बारे में बताया जाता है। जिले में आसक्षरों को नव साक्षर बनाने के लिए कोशिश की जाएगी कि वह अपना नाम अस्पताल बैंक पंचायत के साइनबोर्ड को आसानी से पढ़ सके इसके अलावा हस्ताक्षर करना और अपना नाम पिता का नाम माता का नाम परिवार के सदस्यों का नाम लिख सकें और सरल वाक्य को आसानी से पढ़ लिख सकें। इसके अलावा संख्याओं का ज्ञान और 2 अंकों का जोड़ और घटाना भी आसानी से आ सके।
गांवों में साक्षरता का प्रतिशत कम
क्षेत्रों में साक्षरता दर में काफी अंतर है। शहरी क्षेत्र में साक्षरता दर 78.7 प्रतिशत है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता दर 59.2 प्रतिशत है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं की साक्षरता दर कम है। पुरुषों की साक्षरता दर 74.2 प्रतिशत है। महिलाओं की साक्षरता दर 54.3 प्रतिशत है। जिले में प्रति एक हजार पुरुषों पर 884 महिलाएं हैं। अगर हम छतरपुर शहर की बात करें तो यहां वर्तमान अनुमानित जनसंख्या लगभग डेढ़ लाख से कुछ अधिक है। जनगणना अनंतिम रिपोर्टों के अनुसार 2011 में छतरपुर की जनसंख्या 133464 थी । छतरपुर शहर की औसत साक्षरता दर 83.49 प्रतिशत है। इसमें पुरुष और महिला साक्षरता 88.22 और 78.20 प्रतिशत है। शहर का लिंग अनुपात एक हजार पुरुषों पर 893 है। लड़कियों का बाल लिंग अनुपात 1000 लडक़ों पर 870 है।
फैक्ट फाइल
ब्लॉक परीक्षा में शामिल हुए
छतरपुर 8904
बकस्वाहा 4995
नौगांव 8767
राजनगर 10000
गौरिहार 6745
लवकुशनगर 4630
बिजावर 5800
इनका कहना है
प्रौढ़ साक्षरता अभियान के तहत इस वर्ष की दूसरी परीक्षा आयोजित की गई है। जिसमें जिले के आठ ब्लॉक से 63803 लोगों ने परीक्षा दी है। पूरे जिले को साक्षर बनाने का ये अभियान जारी है।
शिवेन्द्र निगम, प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी