छतरपुर

जिले की 400 आंगनबाड़ी बनी प्री-नर्सरी, प्री-एजूकेशन किट से होगी नौनिहालों की पढ़ाई

जिले की 400 आंगनबाडिय़ों को नए रुप में विकसित किया गया है। आंगनबाडिय़ों को शैक्षणिक रूप से मजबूत करने एवं बच्चों को मिलने वाली प्राथमिक शिक्षा के सुदृढ़ बनाने के लिए आंगनबाडी केन्द्रों को प्री प्राइमरी स्कूल के रूप में विकसित किया जा रहा है।

छतरपुरJun 10, 2024 / 10:13 am

Dharmendra Singh

-प्री-नर्सरी के रुप में विकसित किया गया आंगनबाड़ी केन्द्र

छतरपुर. जिले की आंगनबाडिय़ों को प्री-नर्सरी के रुप में विकसित किया जा रहा है। जिले की 400 आंगनबाडिय़ों को नए रुप में विकसित किया गया है। आंगनबाडिय़ों को शैक्षणिक रूप से मजबूत करने एवं बच्चों को मिलने वाली प्राथमिक शिक्षा के सुदृढ़ बनाने के लिए आंगनबाडी केन्द्रों को प्री प्राइमरी स्कूल के रूप में विकसित किया जा रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित आंगनबाड़ी केंद्र अब केवल पोषण आहार वितरण स्थान नहीं रहेगा। अब आंगनबाडी केंद्रों को विकसित कर नर्सरी स्कूल की तर्ज पर चाइल्ड फ्रैंडली बनाया गया है।

प्री- एजूकेशन किट मिलेगी


प्री-एजुकेशन किट में रंगीन चार्ट पेपर बिल्डिंग बॉक्स, मोम कलर, पेंसिल कलर, कलर चाक, गेंद, कठपुतली, गुडिया, शैक्षिक खिलने सहित अन्य सामग्री होती है। इस किट के जरिए बच्चे का बेसिक विकास किया जा रहा है। आंगनबाड़ी केंद्रों में एक साल के बच्चों का आना शुरू हो जाता है। इसी को देखते हुए प्री-एजूकेशन किट तैयार की गई है। इसके पीछे सरकार की सोच है कि छह साल में जब बच्च पहली कक्षा में दाखिले के लिए तैयार होता है। उससे पहले वह आंगनबाड़ी केंद्र में रहकर पढ़ाई के लिए तैयार हो पाएगा। उसे बेसिक जनकारी हो पाएगी।

खेल-खेल में सीखेंगे बच्चे


आंगनबाड़ी केंद्र में प्रतिदिन समय सारणी के अनुसार अलग-अलग गतिविधियां बच्चों से करवाना जैसे गीत, कहानी, इनडोर खेल, आउटडोर खेल, समामूहिक खेल, एकल खेल, खेल-खेल में रगों का ज्ञान, अक्षरों का ज्ञान, पशु पक्षियों की पहचान, हमारे मददगार डाक्टर, पोस्टमैन, बढई, मोची, दर्जी के बारे में जानकारी, प्रतिदिन उपयोग में आने वाली वस्तुओं की जानकारी व गतिविधियों को रोचक तरीके से आयोजन करना सिखाया जा रहा है।

केंद्रों पर महीने में एक बार बाल चौपाल और बाल सभाएं होंगी


सामुदायिक सहभागिता बढाऩे के लिए केद्रों पर प्रत्येक माह बाल चौपाल और प्रत्येक सप्ताह बाल सभाएं आयोजित की जाएंगी। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बच्चों की आयु अनुसार गतिविधियों को रोचक ढंग से करवाना और उनमें छुपी प्रतिभाओं को पहचान करवाना सिखाया जा रहा है। प्री-स्कूल किट का बेहतर उपयोग और अनुपयोगी सामग्री से प्री-स्कूल लर्निंग सामग्री तैयार कैसे की जाए इसके तरीके भी सिखाए जा रहे हैं।

19 विषयों का पाठ्यक्रम बनाया


ऑगनबाड़ी केंद्रों में आने वाले 3 से 6 वर्ष तक आयु के बच्चों के लिए 19 विषयों का माहवार पाठ्यक्रम निर्धारित किया गया है। इसमें स्वयं की पहचान, मेरा घर, व्यक्तिगत साफ सफाई, रंग और आकृति, तापमान एवं पर्यावरण, पशु पक्षी, यातायात के साधन, सुरक्षा के नियम, हमारे मददगार मौसम और बच्चों का आत्म विश्वास व हमारे त्योहार शामिल हैं। बाल शिक्षा केंद्र में बच्चों के लिए आयु समूह के अनुसार तीन एक्टीविटी वर्कबुक तैयार की गई हैं। बच्चों के विकास की निगरानी के लिए शिशु विकास कार्ड भी बनाए गए हैं।

इनका कहना है


केंद्रों को नर्सरी की तरह विकसित करने में जुटा है। महिला बाल विकास विभाग ने निजी स्कूलों की तर्ज पर केंद्रों को वॉट्सएप ग्रुप बनाने के निर्देश दिए हैं। इन यूपों में पेरेंट्स को जोड़ा जा रहा है। इसके लिए सीएलएपी तकनीक अपनाई गई है। पेरेंट्स को प्रतिदिन टास्क दिए जाएंगे। इनकी बाकायदा मॉनिटरिंग की जाएगी।
राजीव सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास

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