छतरपुर. कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) एक जीवनरक्षक तकनीक है, जो हार्ट अटैक जैसी आपात स्थितियों में जीवनरक्षक साबित हो सकती है। सांस या दिल की धडक़न रुक जाने की स्थिति में अगर समय रहते रोगी को सीपीआर दे दिया जाए तो मौत के खतरे को कम किया जा सकता है। जिला अस्पताल में इस प्रक्रिया के द्वारा एक साल में 170 लोगों को जीवनदान मिला है। सीपीआर सैकड़ों मरीजों के लिए वरदान बनकर उभरी है। खासकर हार्ट अटैक की स्थिति में खती को सही गति से दबाने की यह प्रक्रिया रक्त के संचार को ठीक रखने में मददगार हो सकती है।
कैसे दिया जाता है सीपीआर
हार्ट अटेक की स्थिति में सीपीआर देने से सीपीआर देकर शरीर के हिस्सों में रक्त के संचार के ठीक बनाए रखने में मदद मिल सकती है। इसमें 100-120 मिनट की दर से छाती को दबाया जाता है। इसके लिए दोनों हाथों को इस प्रकार से जोड़ें, जिससे हथेली का निचला हिस्सा छाती पर आए। इसे हथेली को छाती के केंद्र के निचले आधे हिस्से पर रखकर दबाएं। छाती को 5 सेमी तक संकुचित करें बहुत तेज दबाव भी न डालें। इस विधि शरीर के अंगों को ऑक्सीजन युक्त रक्त मिलता है और ऑर्गन फेलियर के खतरे को कम किया जा सकता है।
जीवन रक्षक प्रणाली
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक सीपीआर एक जीवन रक्षक प्राथमिक चिकित्सा प्रक्रिया है। हालांकि यह हार्ट अटैक जैसी स्थितियों में जल्द से जल्द दिया जाना चाहिए। यहां ध्यान रखना जरूरी कि रोगी शिशु है बचा है या वयस्क इसके आधार पर चरण अलग-अलग होते हैं। छाती को दबाने के साथ सांसों पर भी ध्यान देते रहना चाहिए। सीपीआर का उपयोग केवल तभी करें जब रोगी ने सांस लेना बंद कर दिया हो। सीपीआर शुरू करने से पहले व्यक्ति की जांच करें कि वे प्रतिक्रिया कर रहे हैं या नहीं।
इन परिस्थितियों में दिया जा सकता है सीपीआर
यह जरुरी नहीं है कि सीपीआर सिर्फ कार्डियक अरेस्ट (दिल के मरीज को दिया जाता है, बल्कि आगजनी से झुलसे व्यक्ति पानी में डूबे व्यक्ति की जब सांसे या दिल की धडकन धम जाती है, उस स्थिति में सीपीआर के जरिए जान बचाई जा सकती है।
365 दिन में 170 लोगों की बचाई जान
सिविल सर्जन डॉ. जीएल अहिरवार बताते हैं कि जिला अस्पताल में एक साल में 170 लोगों की जान सिर्फ इसलिए बधाई जा सकी, क्योंकि समय रहते उन्हें सीपीआर दिया गया। यह बेहद आसान प्रक्रिया है। हर इंसान को सीपीआर की तकनीकी समझना चाहिए। डॉक्टरों की टीम ने स्कूलों में जाकर लगभग एक हजार बच्चों को सीपीआर की ट्रेनिंग की है।