चेन्नई

४५ साल से अलॉटमेंट का आश्वासन देकर बटोर रहे वोट

अन्नै इंद्रा नगर के निवासियों ने बयां किया दर्दगंदगी हटती नहीं, रोड लाइटें लगती नहींकॉलोनी के पास बिकता है एयरपोर्ट का कचरा

चेन्नईJul 26, 2019 / 04:34 pm

Dhannalal Sharma

४५ साल से अलॉटमेंट का आश्वासन देकर बटोर रहे वोट

चेन्नई. देश के चार महानगरों में चेन्नई ही एक ऐसा शहर है जो सुविधाओं एवं सुरक्षा के मामले में सबसे अग्रणी है। इसकी चौड़ी सड़कें और लोगों को मिलने वाली सुरक्षा एवं सुविधाएं इस शहर को अलग ही स्थान देता है। यहां की यातायात एवं पुलिस व्यवस्था भी मुकम्मल है। महिलाओं की सुरक्षा के मामले में भी सबसे अग्रणी है। समुद्र के किनारे बसे इस महानगर का प्रसार करीब अस्सी किलोमीटर में है जिसमें सैकड़ों उपनगरीय इलाके हैं तो करीब दो हजार कच्ची भी बस्तियां हैं जिनको न केवल अलॉटमेंट एवं पट्टे का इंतजार है बल्कि उनमें बसे लोग सड़कों, पानी, राशन की दुकानों, बच्चों के पढऩे के लिए सरकारी स्कूल, खेल मैदान एवं इलाज के लिए प्राथमिक चिकित्सालय के लिए तरस रहे हैं। खास बात यह है कि जिन कच्ची बस्तियों के लोगों को जमीन अलॉट की गई है तो उसका मूल उद्देश्य या तो वह जगह खाली कराना है या फिर वह जगह सरकारी तौर पर महंगी है और बसाई गई जगह सस्ती। दूसरा कारण उनको जमीन अलॉट करने के पीछे वोट लेने का स्वार्थ भी रहा है। गौर से देखा जाए तो जमीन अलॉट तो कर दी गई लेकिन केवल जमीन देने से ही उनकी जिंदगी तो नहीं कट जाएगी। वहां एक भी सुविधा मुहैया नहीं करवाई गई। न तो वहां मेट्रो वाटर की आपूर्ति शुरू हुई है और न ही राशन की दुकान, सरकारी स्कूल, प्राथमिक चिकित्सालय एवं बच्चों के खेलने के लिए ग्राउंड की व्यवस्था की गई है। इसी कारण उन लोगों का कहना है कि सरकार हर काम केवल वोट लेने के लिए ही करती है। यहां बसा तो दिया लेकिन जमीन का पट्टा बरसों गुजरने के बावजूद अब तक नहीं मिला। मिलता है तो केवल आश्वासन जो आज तक मिलता आया है। सरकार का मानना है कि यदि पट्टा दे दिया गया तो वोट बैंक चला जाएगा।
ऐसी ही कच्ची बस्तियों में शामिल है अन्नै इंद्रा नगर। नरोवलर कॉलोनी एवं एमकेबी नगर के पास बसी यह कॉलोनी अनेक समस्याओं से ग्रस्त है। इसमें बसी ७५० झोपडिय़ों में करीब दो हजार लोग प्रवासित हैं। इसमें न तो मेट्रो वाटर की सुविधा है न ही सरकारी टॉयलेट है, न सरकारी स्कूल है न ख्ेाल का मैदान। हालांकि यहां के लोगों के पास राशनकार्ड, आधार कार्ड, पैन कार्ड यहां तक कि स्मार्ट कार्ड भी है इसके बावजूद इन लोगों को सुविधाएं मुहैया नहीं करवाई जाती।
कॉलोनी में कचरा उठाने वाले तो कभी आते ही नहीं। इस कॉलोनी में गली के कोने पर रखी टंकी में एक दिन छोड़ कर एक दिन पानी डाला जाता है जिससे सभी पानी लेते हैं लेकिन वह भी फ्री नहीं एक घड़े का दस रुपए चार्ज किया जाता है। पूरी कॉलोनी में स्ट्रीट लाइटें नहीं हैं जिसके कारण चारों ओर अंधेरा छाया रहता है जिसके चलते यहां कई गलत काम होते हैं।
यहां सरकारी स्कूल नहीं होने की वजह से निजी स्कूल में बच्चों को पढऩे भेजना पड़ता है इसलिए कॉलोनी के आधे बच्चे ही पढ़ पाते हैं। खेल मैदान नहीं होने के कारण बच्चे रोड पर ही खेलते हैं जो किसी खतरे से कम नहीं है। सरकारी अस्पताल एमकेबी नगर में है और राशन की दुकान भी करीब एक किलोमीटर दूर है जहां से सामान लेकर आने में ही लोगों को एक दिन पूरा हो जाता है।
यहां के रहवासियों को एक अन्य परेशानी यह है कि इस कॉलोनी के उत्तरी हिस्से में बड़ा नाला बहता है जिससे मच्छर, सांप, छिपकली, बिच्छू समेत अनेक कीड़े-मकोड़े निकलकर कॉलोनी में आ जाते हैं जो बीमारियों का बड़ा कारण है।
कॉलोनी की मुख्य रोड के मुहाने पर ही एयरपोर्ट का डस्टिंग वेस्टेज (बेकार कचरा) बेचा जाता है जिसकी चारों ओर बदबू परेशान करती है। यह कचरा पार्तीबन नामक ठेकेदार द्वारा बेचा जाता है। कॉलोनी में सफाई की कोई व्यवस्था नहीं न तो कभी सफाईकर्मी आता है और न ही कचरा उठाने वाली चेन्नई महानगर निगम की गाड़ी। इस कारण चारों ओर कचरा पसरा हुआ है। इतना ही नहीं इस कॉलोनी में रात करीब ग्यारह बजे से गांजा, अफीम, शराब आदि की बिक्री की जाती है। इसके लिए मना करने की किसी की हिम्मत नहीं होती क्योंकि पुलिस को भी इसका पता रहता है। यहां के लोगों का कहना है जब चुनाव आते हैं तो राजनीतिक पार्टियों के लोग आकर जमीन अलॉट करवाने का आश्वासन देकर वोट ले लेते हैं और जब चुनाव जीत जाते हैं तो पांच साल तक विजेता नेता कभी शक्ल ही नहीं दिखाता। यही आश्वासन पिछले ४५ साल से देकर पार्टियां वोट बटोरती रही हैं लेकिन कॉलोनी के लोगों की कभी सुध नहीं ली।
—————
इनका कहना है…
ऐसा लगता है इस महानगर में बसी कच्ची बस्तियां केवल राजनेताओं के वोट बटोरने के लिए ही हैं। उनका मानना है इन लोगों को ***** बनाओ और वोट बटोर लो, तभी तो ४५ साल से हम कच्ची बस्ती में दिन गुजार रहे हैं।
– मांगै, बस्तीवासी
————
सरकार जमीन अलॉट नहीं करती तो कॉलोनी में सुविधाएं तो जुटा सकती है लेकिन नहीं जुटाती। विधायक वोट लेकर पांच साल के लिए गायब हो जाता है कभी आकर हमें परेशानी के बारे में नहीं पूछता।
-युसूफ, स्थानीय निवासी
——
हमने कई बार अलॉटमेंट के लिए आवेदन किया लेकिन कोई सुनाई नहीं हुई। यहां तक कि कॉलोनी में रोड लाइट भी नहीं लगाई जाती। सरकारी स्कूल के अभाव में बड़ी संख्या में यहां के बच्चे अनपढ़ रह जाते हैं। कॉलोनीवासी जल संकट से जूझ रहे हैं टैंकर वाला दस रुप घड़ा चार्ज करता है। सरकार सुविधाएं नहीं देती तो इस लूट को रोक ही सकती है।
गायत्री, स्थानीय निवासी
———-
आसपास कोई कंपनी भी नहीं है जिससे काम कर अपना पेट पाल सकें। इसी का परिणाम है लोग या तो ऑटो चलाकर या निर्माणी मजदूर व कारीगरी का काम कर किसी तरह अपना गुजारा करते हैं। ऐसे में कैसे निजी स्कूलों में अपने बच्चों को पढऩे भेजें।
– जरीना, कॉलोनी निवासी
————–
यहां अगर रोड लाइट लग जाए तो रात को होने वाले गलत कामों पर रोक लग सकती है। सरकार यहां सफाईकर्मी लगाने चाहिए ताकि यहां का कचरा उठाया जा सके। कचरा उठाने से हम बीमारियों से तो बच सकेंगे। यहां सरकारी स्कूल की सख्त जरूरत है लेकिन महानगर निगम का ध्यान इधर जाता ही नहीं।
– पीर मोहम्मद, स्थानीय निवासी
————
 

Hindi News / Chennai / ४५ साल से अलॉटमेंट का आश्वासन देकर बटोर रहे वोट

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.