चेन्नई

प्रवासियों ने बिनजेस में झंडे गाड़े, राजनीति में फिसड्डी

हीराचन्द गुलेच्छा राज्यसभा सदस्य रहे, उगमचन्द लोढ़ा दो बार विधायक बने

चेन्नईAug 29, 2020 / 10:52 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

Tamilnadu pravasi samaj

चेन्नई. प्रवासी समाज के लोगों ने तमिलनाडु में बिजनेस के क्षेत्र में तो खूब झंडे गाड़े लेकिन राजनीति के क्षेत्र में कोई खास मुकाम हासिल नहीं कर सके। एक बार राज्यसभा सदस्य और दो बार विधायक के अलावा कुछ नगरपालिकाओं के चेयरमैन को प्रवासियों ने जरूर सुशोभित किया। कुछ प्रवासी पार्षद पद तक पहुंचे। यानी राजनीति के क्षेत्र में कोई विशेष पहचान प्रवासियों की नहीं रही। हालांकि पिछले कुछ अरसे से क्षेत्रीय दलों के साथ ही कांग्रेस व भाजपा से प्रवासी जरूर जुड़े।
राजस्थान के बीकानेर के डी. हीराचन्द गुलेच्छा एआईएडीएमके से 1980 से 1986 तक राज्यसभा सदस्य रहे। तमिलनाडु में टिण्डिवणम नगरपालिका के चार बार चेयरमैन रहे। 1971 से 1976 तक कांग्रेस से टिण्डिवणम नगरपालिका के चेयरमैन बने। बाद में 1979 में कांग्रेस से त्यागपत्र देकर एआईएडीएमके में आ गए। वे वर्ष 1986 से 1991, वर्ष 1991 से 1996 तथा वर्ष 2001 से 2006 तक तीन बार एआईएडीएमके से नगरपालिका के चेयरमैन बने। अपने चेयरमैन के अंतिम टर्म में चेयरमेेन्स मेम्बर्स के चेयरमैन रहे। यानी समूचे तमिलनाडु की सभी नगरपालिका के चेयरमैन एसोसिएशन के चेयरमैन रहे।
वाटर सप्लाई व ड्रेनेज बोर्ड के चेयरमैन रहे
राजस्थान के पाली के सोजत रोड निवासी उगमचन्द लोढ़ा मदुरांतम विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक चुने गए। वे पहली बार वर्ष 1980 से 1984 तक तथा दूसरी बार वर्ष1989 से 1991 तक विधायक रहे। दोनों बार एआईएडीएमके से चुने गए। लोढा वर्ष 1972 में मात्र 23 वर्ष की आयु में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य चुने गए। उस दौरान वे सबसे कम आयु के सदस्य थे। लेकिन चुनाव के वक्त कांग्रेस के टिकट देने से मना करने पर उन्होंने एआईएडीएमके से टिकट प्राप्त कर लिया। वे वर्ष1984 से 1988 तक तमिलनाडु वाटर सप्लाई एवं ड्रेनेज बोर्ड के चेयरमैन रहे। वे वर्ष1995 से 1996 तक तमिलनाडु वायर हाउसिंग कार्पोरेशन के चेयरमैन रहे। बाद में उन्होंने 1998 में डीएमके की सदस्यता ग्रहण कर ली।
लोढा के छोटे भाई प्रेमचन्द लोढा वर्ष1986 से 1991 तक मदुरांतकम नगरपालिका के चेयरमैन रहे। राजस्थान मूल के शांतिलाल नाहर आवड़ी नगरपालिका के अध्यक्ष रहे। पाली जिले के बगडी नगर के पवन कुमार सेठिया तिरुवण्णामलै नगरपालिका के चेयरमैन रहे। दो बार एआईएडीएमके के टिकट पर तिरुवण्णामलै से विधानसभा का चुनाव लड़ा। बाबूजी गौतम एआईएडीएमके में सक्रिय है। राजस्थान मूल के शांंतिलाल पुरोहित ने डीएमके में पहचान बनाई है।
पीतलिया दो बार अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य रहे
पाली जिले के माण्डा निवासी प्यारेलाल पीतलिया दो बार तमिलनाडु अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य रहे। सुधीर लोढा लगातार तीसरी बार अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य बने है। प्रवासी शांतिलाल खटेड़, गौतमचन्द बैद, दमनप्रकाश राठौड़, हरिश मेहता व गौतम सेठिया भी सदस्य बने।
भाजपा में दिखाई सक्रियता
भाजपा से कई प्रवासी सक्रिय रूप से जुड़े रहे। कांतिलाल जैन ने भाजपा के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ा। वे भाजपा के तमिलनाडु प्रदेश कोषाध्यक्ष भी रहे। सिरोही जिले के वराडा निवासी टाइगर अशोक राजपुरोहित भाजपा में सक्रिय रहे। राजपुरोहित प्रवासी प्रकोष्ठ भाजपा के अध्यक्ष रहे। कृष्णा नथानी ने भाजपा के टिकट पर विधायक का चुनाव लड़ा। जोधपुर जिले के बिलाडा निवासी राजेन्द्र कुमार बोहरा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य बने।
प्रवास में रहते गृह क्षेत्र से जीत गए
कई प्रवासी तमिलनाडु में राजनीतिक उपलब्धि हासिल नहीं कर सके लेकिन राजस्थान जाकर जनप्रतिनिधि बन गए। तमिलनाडु के महाबलीपुरम में रहने वाले पेमाराम सीरवी पाली जिला प्रमुख बन गए। चेन्नई प्रवासी भूपेन्द्रसिंह देवड़ा जाखड़ी जालोर जिला परिषद सदस्य बने। तमिलनाडु प्रवासी देवीसिंह राजपुरोहित पाली जिले के मोहराई ग्राम पंचायत के सरपंच है। चेन्नई प्रवासी निम्बाराम चौधरी पटेल जालोर जिले के गोदन ग्राम पंचायत के सरपंच बने। निम्बाराम चौधरी की पत्नी मुलकीदेवी चौधरी वर्तमान में गोदन ग्राम पंचायत की सरपंच है। गेनाराम पटेल जालोर जिले में पंचायत समिति सदस्य बने। इसके साथ ही कई प्रवासी क्षेत्रीय दलों व प्रमुख राष्ट्रीय पार्टियों से जुड़े लेकिन खास पहचान कायम नहीं कर सके। इसके अलावा भी कई प्रवासी पार्षद चुने गए तो राजस्थान जाकर भी पंच-सरपंच व अन्य जनप्रतिनिधि बने।

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