चेन्नई

दक्षिण भारत की सर्वाधिक सफल योजना का स्याह पक्ष

वर्तमान में देशभर के सरकारी स्कूलों में लागू मिड-डे मील योजना की शुरुआत 1962 में तमिलनाडु से हुई थी। प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कामराज ने…

चेन्नईFeb 18, 2018 / 10:31 pm

मुकेश कुमार

South side of South India’s most successful scheme

चेन्नई। वर्तमान में देशभर के सरकारी स्कूलों में लागू मिड-डे मील योजना की शुरुआत 1962 में तमिलनाडु से हुई थी। प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कामराज ने यह योजना राज्य के बच्चों को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करने तथा उनके समुचित विकास के लिए लागू की थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य उन घरों के बच्चों को शिक्षा से जोडऩा था जिनमें दो वक्त की रोटी का जुगाड़ भी मुश्किल हो पाता था।

 

प्रारंभ में इस योजना ने राज्य के लोगों को काफी प्रभावित किया। यह इस योजना का ही असर था कि बच्चों को अपने साथ काम पर ले जाने वाले लोग भी अब उन्हें स्कूल भेजने लगे। लोगों को इसका दोतरफा लाभ हुआ। एक तो बच्चों को एक जून का भोजन मिलने लगा दूसरा उनके मां-बाप के मन में यह उम्मीद जगी कि शिक्षित होने की वजह से कम से कम उनके बच्चों को तो उनकी तरह मजदूरी नहीं करनी पड़ेगी।

1982 में उस दौर के मुख्यमंत्री एम.जी. रामचंद्रन ने मिड-डे मील योजना को और गंभीरता से लिया और इस योजना के तहत मिलने वाले भोजन की पौष्टिकता पर विशेष ध्यान दिया।

एमजीआर के कार्यकाल के दौरान इस योजना पर काम कर चुके तमिलनाडु के एक सेवानिवृत्त प्रिंसिपल ने बताया कि एमजीआर ने इस योजना पर काफी जोर-शोर से काम किया जिसके चलते यहां के स्कूलों में बच्चों की संख्या काफी बढ़ गई। अपने कार्यकाल में उन्होंने इस योजना को ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यान्वित करने के लिए काफी प्रयास किया। उनके उस प्रयास का सकारात्मक असर राज्य के साक्षरता प्रतिशत पर भी पड़ा। यह वह दौर था जब युवा स्कूली पढ़ाई खत्म कर कॉलेज में जाने के लिए उत्साहित हो रहे थे।

मिड-डे मील योजना को आधार कार्ड से जोडऩे की प्रक्रिया की सफलता पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि इसकी वजह से विद्यार्थियों की कुल संख्या में लगभग एक लाख की कमी आई है। विद्यार्थियों की संख्या में आई यह कमी इस योजना के तहत शामिल किए गए नामों के फर्जीवाड़े को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि योजना को आधार से जोडऩे के कारण काफी हद तक इस फर्जीवाड़े पर नियंत्रण पा लिया गया है। तमिलनाडु सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक संघ के अध्यक्ष सामी सत्यमूर्ति का कहना है कि ग्रामीण इलाकों के लोगों में अभी भी आधार कार्ड के प्रति जागरूकता का काफी आभाव है। इसके अलावा आधार कार्ड केंद्रों की कमी और ग्रामीण इलाकों से काफी दूरी के चलते काफी विद्यार्थियों को अभी तक इस योजना से नहीं जोड़ा जा सका है। हालांकि इस पर तेजी से काम चल रहा है और उम्मीद है जल्द ही इसे भी पूरा कर लिया जाएगा।

आंध्रप्रदेश में आईटी क्रांति लाने वाले वर्तमान मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने केंद्र सरकार के आदेश के तत्काल बाद मिड-डे मील योजना के लाभार्थी विद्यार्थियों एवं उनके अभिभावकों की आधार संख्या से इस योजना को जोडऩे का काम शुरू कर दिया था।

आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आंध्रप्रदेश में विद्यार्थियों के आधार कार्ड को लिंक कराने का लक्ष्य शत-प्रतिशत पूरा कर लिया गया है। हालांकि इस अभियान के बाद कई चौंकाने वाले खुलासे का भी पता चला। जानकारी के मुताबिक आधार संख्या को मिड-डे मील योजना से जोडऩे के दौरान अभियान करीब 4.5 लाख फर्जी नाम सामने आए। दरअसल ये बच्चे स्कूल में नहीं केवल कागजों में थे और स्कूलों में इन नामों के आधार पर मिड-डे मील योजना के तहत खाद्य सामग्री मंगवाई जाती थी।

पड़ोसी राज्य कर्नाटक के डेटा स्टूडेंट ट्रैकिंग सिस्टम विभाग ने करीब 85 प्रतिशत विद्यार्थियों का आधार कार्ड विवरण एकत्र किया है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक कर्नाटक के एक करोड़ छात्रों में से 85 लाख विद्यार्थियों के आधार कार्ड वैधता की जांच के लिए संबंधित विभाग के पास भेजे गए हैं। बेंगलूरु के स्कूली शिक्षा विभाग संघ के सचिव शशि ने बताया कि पहले उन्होंने इसे योजना का विरोध किया था लेकिन इसके फायदों के बारे में जानकारी मिलने के बाद वे इसके समर्थन में आ गए। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने विद्यार्थियों का आधार कार्ड बनवाने के लिए स्कूलों में एक विशेष अभियान चलाया।
केरल के स्कूली शिक्षा विभाग के एक अधिकारी सजी कृष्णन ने बताया कि केंद्र सरकार की अधिसूचना से पहले ही केरल में विद्यार्थियों के आधार कार्ड को लिंक करने का काम प्रारंभ हो गया था।


उन्होंने कहा कि केरल में 2015 में ही इस अभियान की शुरुआत हो गई थी और अब तक लगभग 98 प्रतिशत बच्चों का आधार कार्ड डेटा सरकारी वेबसाइट से लिंक किया जा चुका है। सुदूर और ग्रामीण क्षेत्रों में आधार कार्ड मशीन की सुविधा नहीं होने के कारण दो प्रतिशत काम शेष रह गया है। सरकार इसके लिए प्रयासरत है तथा इस शत प्रतिशत लक्ष्य को हासिल करने के लिए शनिवार और रविवार जैसे सार्वजनिक अवकाश के दिन भी इस योजना पर काम किया जा रहा है। उम्मीद है इसे भी जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि केरल में अभी तक एक भी फर्जीवाड़े का मामला सामने नहीं आया है।

रीतेश रंजन

 

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