चेन्नई

टोल प्लाजा का ‘बांस’ भले ना रहे लेकिन ‘बांसुरी’ बजती रहेगी

केंद्र का लक्ष्य टोल प्लाजा मुक्त भारत
वाहन चालकों पर बढ़ता टोल दबाव
साल दर साल बढ़ते टोल टैक्स का खामियाजा जनता को ही भुगतना पड़ रहा

चेन्नईAug 06, 2022 / 07:44 pm

MAGAN DARMOLA

टोल प्लाजा का ‘बांस’ भले ना रहे लेकिन ‘बांसुरी’ बजती रहेगी

चेन्नई. वाहनों की बढ़ती आबादी और सड़क नेटवर्क का विस्तार सुविधाजनक तो है लेकिन साल दर साल बढ़ते टोल टैक्स का खामियाजा जनता को ही भुगतना पड़ रहा है। सड़कों के निर्माण, विस्तार और अनुरक्षण के लिए टोल भले जरूरी हो मगर इनमें होने वाली वृद्धि से वाहन मालिक आहत हैं। इसका असर पर माल यातायात पर भी पड़ता है। ऐसे में केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री की यह घोषणा के निकट भविष्य में टोल प्लाजा समाप्त कर जाएंगे ‘भ्रम’ पैदा करता है मानो आपको टोल नहीं चुकाना होगा। हकीकत यह है कि जेब तो कटनी है। तेल की बढ़ती कीमतों के लिए सरकार भले अंतर्राष्ट्रीय बाजार को जिम्मेदार ठहरा दे लेकिन सड़कों के उपयोग पर कर के मामले में ‘लेवी’ जनता के नजरिए से होनी चाहिए।

राज्यसभा में उठाया मसला

द्रमुक राज्यसभा सांसद पी. विल्सन ने राज्यसभा में टोल प्लाजा का मसला उठाया था। उनका कहना था कि देश में 1000 से अधिक टोल प्लाजा हैं, जिनमें से सबसे अधिक तमिलनाडु में हैं। यात्रा का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। अगर टोल व्यवस्था विकसित राष्ट्रों के समान करने की योजना है तो भारत में भी टोल और नॉन-टोल सड़कों का विकल्प होना चाहिए। कई जगह टोल मार्ग स्थानीय बसावट के निकट है जिनका उनको नियमित रूप से उपयोग करना पड़ता है। वे बिना बात टोल की भेंट चढ़ रहे हैं। टोल शुल्क बढ़ाने की यंत्रवत व्यवस्था से साल दर साल यह बोझ बढ़ता ही जा रहा है। बीओटी पर दिए गए कई टोल की अवधि समाप्त हो चुकी है फिर भी वसूली हो रही है। समय आ गया है जब सभी टोल प्लाजा को पूरी तरह से बंद कर दिया जाना चाहिए।

विभिन्न टोल प्लाजा पर वसूला शुल्क
वर्ष वसूली (लाखों में)
2017-18 653956.84
2018-19 709004.35
2019-20 797806.66
(स्रोत : राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण)

एकमुश्त शुल्क का विकल्प
टोल प्लाजा पर शुल्क करने के बजाय मोटर वाहन के पंजीकरण के समय एकमुश्त शुल्क लिया जा सकता है
पी. विल्सन, द्रमुक राज्यसभा सांसद

रोड टैक्स ही काफी
रोड टैक्स और टोल वसूली ठीक नहीं है। हमने पहले भी टोल समाप्त करने की मांग की थी। बढ़ते टोल से माल परिवहन की लागत प्रति किमी 5 से 7 रुपए तक बढ़ जाती है।
पवन कुमार अग्रवाल, पूर्व अध्यक्ष चेन्नई गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन

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