प्रकाशक व प्रणाली दोनों ही दोषी
आम की टोकरी जैसी कविता का पाठ्यपुस्तक में प्रकाशित करना अपने आप में अपराध है। प्रकाशक व प्रणाली दोनों ही दण्डनीय है।
– रतन डालमिया, कवि व गीतकार, चेन्नई।
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कविता पाठ्यक्रम के योग्य नहीं
कविता स्तरहीन है। बच्चों को पाठ्यक्रम में रखने लायक नहीं है।
– डॉ. सुधा त्रिवेदी, कवयित्री व सहायक प्रोफेसर, चेन्नई।
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