आखिर में यात्री ने एगमोर स्टेशन पर उतर कर शिकायत दर्ज करवाई और निजी अस्पताल में जाकर इलाज लिया। बाद में वह सरकारी अस्पताल भी गया। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष आर.वी. दीनदयालन और सदस्य एस. राजलक्ष्मी ने रेलवे को मानसिक तनाव की क्षतिपूर्ति के लिए 25,000 रुपए मुआवजा देने का निर्देश दिया है। साथ ही यह भी कहा कि विभाग यात्री को चिकित्सा के लिए 2000 रुपए और कानूनी प्रक्रिया में खर्च हुए 5000 रुपए की भरपाई भी करे। अगर तीन महिनों के भीतर विभाग ये राशि नहीं देता है तो उसे 9 प्रतिशत की दर से ब्याज देना पड़ेगा। यात्री ने शिकायत में घटना के दौरान हुए मानसिक तनाव का हर्जाना मांगा था।
मासूम को जहरीले सांप ने काटा, डॉक्टरों ने बचाया
तिरुचि. यहां एक छह साल के बच्चे को चिकित्सकों ने कड़ी मशक्कत के बाद बचा लिया गया। इस बच्चे को विषैले सांप ने काट लिया था। घटना तिरुचि जिले के इल्लुपुर के परमबूर गांव की है। यहां रहने वाली पंडीमीना (30) ने अपने बेटे मदन की बचने की उम्मीद छोड़ दी थी, जब एक रोज खेलते वक्त विषैले सांप ने उसे काट लिया था जिससे वह बेहोश हो गया था। इसके बाद उसे पुदुकोट्टै सरकारी मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। कॉलेज के शिशुरोग विशेषज्ञ के.एम. सेंथिल कुमार ने बताया कि माता-पिता बच्चे को गंभीर हालत में अस्पताल लेकर आए थे। वह बेहोश था और उसकी हार्टबीट भी 40 से कम हो गई थी। सांस भी घटती जा रही थी। उसे या तो कोबरा या फिर करैत सांप ने काटा था जो न्यूरोटॉक्सिक होते हैं और उनका जहर नर्व सिस्टम को प्रभावित करता है। सांप का जहर रक्तप्रवाह में मिलने से उसका नर्व सिस्टम प्रभावित हो गया था, उसे वेंटीलेटर पर रखा गया। डॉ. सेंथिल ने बताया कि जैसा हम इस बात से निश्चित थे कि बच्चे को किसी न्यूरोटॉक्सिक सांप ने काटा है इसलिए हमने तुरंत उसे ऐंटीवेनोम की 10 यूनिट चढ़ाई। 6 घंटे में उसकी श्वसन प्रक्रिया में सुधार होने लगा। इसके बाद हमने उसे 8 यूनिट एंटीवेनोम और चढ़ाई गई जिससे उसकी जान बच सकी। डॉक्टर ने आगे कहा कि नर्व सिस्टम को जहर ने प्रभावित किया था इसलिए हमने उसे दवाइयां भी दी। उन्होंने कहा, इस तरह हम ब्रेन नर्व को क्षतिग्रस्त होने से बचा सकें। डॉ. सेंथिल ने कहा कि यह अच्छा हुआ अभिभावक ठीक समय पर बच्चे को यहां ले आए थे इसलिए उसके महत्वपूर्ण अंगों पर प्रभाव नहीं पड़ा।