नींबू की फसल में लगा उत्तरी राज्यों का रोग
कोयम्बत्तूर. कोयम्बत्तूर और ईरोड में नींबू उत्पादक किसान एक नए रोग से परेशान हैं। इससे उपज तो घट ही रही है। पेड़ भी सूखते जा रहे हैं।इसकी जानकारी जब कोयम्बत्तूर कृषि विश्व विद्यालय को मिली तो यहां पौधे मंगा कर जांच की गई। कृषिवैज्ञानिकों को एक ऐसी बीमारी का पता लगा जो अभी तक तमिलनाडु में इससे पहले देखी नहीं गई थी। इस रोग के कारण नींबू के फूल सूख जाते हैं । पत्ते पीले हो कर गिर जाते हैं। यहां तक कि इन पौधों में लगने वाले नींबू के फल छोटे होते हैं । रोग के कारण धीरे-धीरे पौधे भी सूख जाते हैं। कृषि विश्वविद्यालय ने कहा कि यह रोग अन्य राज्यों से रोपाई के लिए लाए गए नींबू के पौधे के साथ आया हो सकता है। विश्वविद्यालय में जब इन पौधों की जांच की गई तो इनकी जड़ों में विभिन्न आकारों की कई गांठें पाईगई।यह दरअसल मिलयोटोकैन इंडिका कृमि होते हैं जो आम तौर पर राजस्थान और गुजरात में पाए जाते हैं।
इनके कारण कोयम्बत्तूर और ईरोड में नींबू की फसल व्यापक रूप से प्रभावित हुईहैं। विश्वविद्यालय ने किसानों से कहा है कि वे बागान की मिट्टी लाए। उसकी भी जांच की जाएगी। विश्वविद्यालय रोग से बचाव के उपाय सुझाएगा।