कांचीपुरम लोकसभा सीट का इतिहास काफी समृद्ध है। यह देश-दुनिया में प्राचीन मंदिरों और रेशम के उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। यहां काफी संख्या में पर्यटक आते हैं। इस क्षेत्र की अपनी एक धार्मिक मान्यता है और यहां के मंदिरों की वास्तुकला का अपना आकर्षण है। कांचीपुरम की राजनीति की बात करेें तो यहां की सीट पर हर बार त्रिकोणात्मक मुकाबला देखने को मिला है। यहां के तीन प्रमुख दलों में कांग्रेस, द्रमुक और अन्नाद्रमुक हैं।
अब तक के तीन बार हुए चुनाव में यहां तीनों ही दलों से सांसद बारी बारी से चुन कर आ चुके हैं। इस लोकसभा चुनाव में कांचीपुरम लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में अन्नाद्रमुक से राजशेखर ई, द्रमुक से सेल्वम जी. और एनटीके से संतोष कुमार वी. प्रमुख उम्मीदवार हैं। द्रमुक और अन्नाद्रमुक दोनों उम्मीदवार स्थानीय व्यावसायिक हितों वाले स्थापित राजनेता हैं, खासकर रियल एस्टेट क्षेत्र में। इनमें पीएमके की ज्योति वेंकटेशन और राजशेखर ई. पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि सेल्वम तीसरी बार भाग्य आजमा रहे हैं। इस बार कांचीपुरम से अलग-अलग पार्टी और निर्दलीय 11 उम्मीदवार मैदान में है।
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है यह सीट2019 के आम चुनाव में यहां बहुत मजेदार चुनावी मुकाबला देखने को मिला था। इस सीट पर द्रमुक के सेल्वम जी. ने 6,80,087 वोटों से जीत दर्ज की थी। हालांकि उससे पहले साल 2014 में अन्नाद्रमुक के मारागथम के. जबकि 2009 में कांग्रेस के विश्वनाथन पी. ने यहां जीत हासिल की थी। इस सीट पर 2014 में मारागथम के. को 5 लाख वोट मिले थे वहीं 2009 में विश्वनाथ पी. को 3.2 लाख वोट मिले थे। यहां साल 2019 के चुनाव में 73.86 फीसदी मतदान हुआ था।
इस बार होगा त्रिकोणीय मुकाबलामतदाताओं में कांचीपुरम जिले में मतदाताओं के एक वर्ग के बीच मजबूत सत्ता-विरोधी मनोदशा दिखाई दी, लेकिन अब यह देखना बाकी है कि क्या ये भावनाएं द्रमुक और उसके सहयोगी वीसीके के प्रति पारंपरिक समर्थन आधार को पार करेगी या नहीं। कांचीपुरम में स्थानीय निवासी सहित मतदाताओं के एक वर्ग ने भी नाराजगी व्यक्त की है कि वर्तमान सांसद को कांचीपुरम में सार्वजनिक कार्यक्रमों में कभी नहीं देखा गया या शायद ही चेंगलपेट जिले का दौरा किया। वहीं एक अन्य नेता का कहना था पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता की मृत्यु और तत्पश्चात पार्टी की चुनावी हार के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में अन्नाद्रमुक का कैडर आधार कमजोर हो गया है। भाजपा गठबंधन के हिस्से के रूप में चुनाव लड़ रही पीएमके को अन्नाद्रमुक जैसी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। राज्य में तमिलनाडु भाजपा प्रमुख के. अन्नामलै और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रचार के बावजूद पार्टी ग्रामीण मतदाताओं के बीच लोकप्रियता हासिल नहीं कर पा रही है। पीएमके को पार्टी के समर्थन आधार पर बहुत अधिक निर्भर रहना होगा। ऐसे में एनटीके को फायदा हो सकता है।
क्या है लोगों की मांग
– हथकरघा में निर्मित रेशमी साड़ी सहित सभी हथकरघा वस्त्रों को जीएसटी कर से मुक्त किया जाना चाहिए।
– हथकरघा उद्योग के विकास और संरक्षण के लिए केंद्र सरकार द्वारा सेलम की तरह एक भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना की जानी चाहिए।
– सोने की कीमत बढऩे के कारण फीते की कीमत बढ़ रही है, कीमत को नियंत्रण में रखने के लिए हथकरघा बुनकरों को सब्सिडी दी जानी चाहिए।
– बुनकरों को 2014 तक मिलने वाला चिकित्सा बीमा पुन: प्रदान किया जाए। चिकित्सा बीमा की राशि बढ़ाई जानी चाहिए।- चेंगलपेट एकीकृत टीकाकरण केंद्र अभी तक पूरा नहीं हुआ है इसे तुरंत उपयोग में लाया जाना चाहिए।
– कांचीपुरम से चेंगलपेट तक एक अतिरिक्त रेलवे लाइन का निर्माण किया जाना चाहिए।
कुल मतदाता- 1748866
पुरुष मतदाता- 853456
महिला मतदाता- 895107
थर्ड जेंडर- 303
मतदान केन्द्र- 1917