चेन्नई

भारतीय विमान यात्रियों के डाटा में सेंध का जतन तो नहीं!

पी. एस. विजयराघवन patrika.com चेन्नई. माइक्रोसॉफ्ट सर्वर आउटेज के हाहाकार का सबसे अधिक असर विमान सेवाओं पर नजर आया है। एयरपोर्ट पर लगी यात्रियों की कतारें और मैनुअली किए जा रहे अरेंजमेंट हमें बाबा आदम के जमाने की याद दिला रहे हैं। अभी तक बवाल से निजात नहीं मिली है, जबकि इसने कई सवाल अवश्य खड़े […]

चेन्नईJul 24, 2024 / 05:28 pm

P S VIJAY RAGHAVAN

पी. एस. विजयराघवन
patrika.com

चेन्नई. माइक्रोसॉफ्ट सर्वर आउटेज के हाहाकार का सबसे अधिक असर विमान सेवाओं पर नजर आया है। एयरपोर्ट पर लगी यात्रियों की कतारें और मैनुअली किए जा रहे अरेंजमेंट हमें बाबा आदम के जमाने की याद दिला रहे हैं। अभी तक बवाल से निजात नहीं मिली है, जबकि इसने कई सवाल अवश्य खड़े किए हैं, जिनमें सबसे बड़ी आशंका सिक्योरिटी ब्रीच यानी सुरक्षा में सेंधमारी की है। माइक्रोसॉफ्ट ने ऊपरी तौर पर सबकुछ ठीक बताया है लेकिन साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स को आशंका है कि भारतीय विमान यात्रियों का डाटा चुराने की हिमाकत के तहत साइबर अटैक किया गया हो। पेश है राजस्थान पत्रिका से डिजीटल सेक्युरिटी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन वी. राजेन्द्रन से हुई बातचीत के अंश :

प्रश्न : इस आउटेज को आप किस तरह देखते हैं?

माइक्रोसॉफ्ट से इस एपिसोड पर जो जवाब आया है उसमें कहीं जवाबदेही नहीं दिखाई देती। ठीकरा थर्ड पार्टी पर फोड़ा गया है जो सिक्योरिटी प्रोवाइडर है। अगर उनकी बात मान भी लें तो आउटेज का असर माइक्रोसॉफ्ट के सभी यूजर्स और उत्पादों पर होना चाहिए था लेकिन ऐसा नजर नहीं आया। इस पर और डीप इन्वेस्टिगेशन और इन्फॉर्मेेशन की आवश्यकता है।

प्रश्न : क्या आप इस डाटा और सिक्योरिटी ब्रीच मानते हैं?

वी. राजेन्द्रन:  सभी प्रॉडक्ट्स का प्रभावित नहीं होना सवाल पैदा करता है कि शायद यह साइबर सिक्योरिटी अटैक है जो भारतीय विमान यात्रियों का डाटा चुराने के लिए हुई है। यह शुरुआती चरण है ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन इस आशंका को दरकिनार नहीं किया जा सकता है। यह एक आपदा है, बहुत बड़ा मसला है लेकिन माइक्रोसॉफ्ट का थर्ड पार्टी को ढाल बनकर नो डाटा लोस्ट की बात कहना समझ के बाहर है।
वित्तीय सुरक्षा कहां तक है, और क्या किया जाना चाहिए?

वी. राजेन्द्रन: पूरे प्रकरण से यह स्पष्ट है कि बैंकिंग कोर सिस्टम इससे अप्रभावित है। देश की बैंकिंग प्रणाली में यूनिक ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग होता है, जो माइक्रोसॉफ्ट नहीं है। ऐसे में वित्तीय सुरक्षा में सेंध जैसा कोई मामला नहीं बनता लेकिन, अगर यह जारी रहता है तो इसकी आशंका रहेगी। यह खतरा इशारा है कि अब भारत स्वदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास करे। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने अपने शासनकाल में भारत ऑपेरटिंग सिस्टम सॉल्यूशन (बॉस) की सिफारिश की थी, जिसे अज्ञात कारणों से नहीं अपनाया गया। हालांकि डीआरडीओ ने इसके संशोधित स्वरूप को अपनी रक्षा प्रणाली में अपनाया है। उसी को अपनाना चाहिए।

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