ऑनलाइन बुक किए जाते हैं 80% टिकट गौरतलब है कि एसी क्लास के लिए तत्काल बुकिंग सुबह 10 बजे और नॉन-एसी क्लास (स्लीपर और सेकंड सिटिंग) के लिए सुबह 11 बजे खुलती है। तत्काल बुकिंग के दौरान ज़्यादा ट्रैफ़कि की मांग को संभालने के लिए आइआरसीटीसी ने कुछ साल पहले अपने सर्वर को अपग्रेड किया था, लेकिन हाल के महीनों में यह लोगों को फिर से परेशान करने लगा है। यात्रियों का कहना है कि आधिकारिक डेटा के अनुसार करीब 80% टिकट ऑनलाइन बुक किए जाते हैं, इसके बावजूद तत्काल बुकिंग का समय होते ही आइआरसीटीसी रेल कनेक्ट मोबाइल ऐप भी जैसे कुछ समय के लिए छुट्टी पर चला जाता है।
पहले नहीं होती थी ऐसी समस्या आइआरसीटीसी अधिकारियों ने भी माना कि उन्हें हाल ही में, खासतौर पर दीपावली और छठ त्योहार के दौरान इस तरह की काफी शिकायतें मिली थीं। दरअसल यह समस्या बुकिंग की अधिक मात्रा के कारण थी और समाधान के लिए इसे संबंधित टीम के पास भेज दिया गया था।
रेल यात्रा के शौकीन एस. जयावेल ने कहा कि ‘कन्फर्म टिकट मिलने की संभावना बढ़ाने के लिए मैं भुगतान प्रतीक्षा समय को कम करने के लिए आइआरसीटीसी-वॉलेट में पैसे रखता हूं। इसके अलावा बुकिंग के दौरान समय की बचत के लिए मैंने पोर्टल पर मास्टर लिस्ट में पहले से ही अपनी और अपनी पत्नी की जानकारी सहेज रखी है। बावजूद इसके पिछले चार महीनों के दौरान मुझे पांच अलग-अलग मौकों पर टिकट बुक करने का प्रयास करते हुए लॉग आउट होने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसके बाद दुबारा लॉगिन करने पर सही तरीके से दर्ज किए जाने के बावजूद मुझे गलत कैप्चा दर्ज करने के त्रुटि संदेश मिला।’ उन्होंने आगे बताया कि ‘मेरा आइआरसीटीसी खाता आधार के साथ सत्यापित है और अप्रैल-मई तक मुझे तत्काल टिकट बुक करने में कोई समस्या नहीं होती थी।’
मन्नड़ी के निवासी एस. रामचंद ने भी कुछ ऐसा ही अनुभव साझा करते हुए कहा कि ‘मैं हाई-स्पीड इंटरनेट का उपयोग करने के बावजूद चेन्नई से जयपुर के लिए टिकट बुक नहीं कर सका, लेकिन एक ट्रैवल एजेंट ऐसा करने में आसानी से कामयाब हो गया। वेबसाइट पर जाकर जैसे ही मैंने ‘अभी बुक करें’ पर क्लिक किया, सिस्टम बंद हो गया और फिर लोड नहीं हो पाया। दो महीने पहले कन्फर्म टिकट हासिल करने के लिए मेरे कर्मचारियों को करीब दो घंटे तक टिकट काउंटर की लाइन में खड़ा होना पड़ा था। इसके अलावा कई बार आरक्षण काउंटर पर बैठे कर्मचारी भी सिस्टम संबंधी समस्याओं की शिकायत करते नजर आते हैं।’