चेन्नई

तमिलनाडु से जुड़ी है भगवान राम की यादें

– नागपट्टिनम जिले के कोडिक्करै में बनाई थी सेना- इसके बाद रामेश्वरम होते हुए लंका कूच किया

चेन्नईAug 04, 2020 / 11:14 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

Historical and religious significance of Kodikkarai

चेन्नई. तमिलनाडु के नागपट्टिनम जिले के कोडिक्करै का ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व रहा है। ऐसा बताते हैं कि कोडिक्करै भगवान राम की वनवास यात्रा का दसवां पड़ाव था। यहां भगवान राम ने पहले अपनी सेना बनाई। फिर सेना सहित रामेश्वरम की ओर कूच किया। कई जाने-माने इतिहासकारों व पुरातत्वविदों ने भगवान राम एवं सीता के जीवन से जुड़ी घटनाओं से जुड़े ऐसे दो सौ से भी अधिक स्थलों का पता लगाया जहां भगवान राम व सीता रुके या रहे थे। वहां के स्मारक, भित्ति चित्र, गुफाओं, आदि स्थानों से समय काल की जांच पड़ताल वैज्ञनिक तरीकों से की। इन स्थानों में कोडिक्करै का नाम भी आता है।
कोडिक्करै में डाला था पड़ाव
रामेश्वरम कूच से पहले भगवान राम ने कोडिक्करै में पड़ाव डाला था। प्रभु श्रीराम जब सीता माता की खोज करते हुए कर्नाटक के बेल्लारी के पास ऋष्यमूक पर्वत पहुंचे। वहां उनकी भेंट सुग्रीव व हनुमानजी से हुई। तब के दौर में उस क्षेत्र को किष्किन्धा कहा जाता था। यहां हनुमानजी के गुरु मतंग ऋषि का आश्रम था। सुग्रीव व हनुमानजी से मिलने के बाद भगवान राम ने वानर सेना का गठन किया और लंका के लिए निकल पड़े। तमिलनाडु की लम्बी तटीय रेखा पर कोडिकरई समुद्र तट पर उन्होंने पड़ाव डाला। लेकिन उस स्थान पर विचार-विमर्श के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया कि यहां से समुद्र को पार करना कठिन है। यह स्थान पुल बनाने के लिए भी उचित नहीं लगा। तब वहां से श्रीराम की सेना ने रामेश्वरम के लिए कूच किया।
आगे बढऩे का रास्ता निकाला
वाल्मीकि के अनुसार तीन दिन की खोजबीन के बाद भगवान राम ने रामेश्वरम के आगे समुद्र में वह स्थान ढूंढ निकाला जहां से श्रीलंका आसानी से पहुंचा जा सकता था। उन्होंने विश्वकर्मा के पुत्र नल व नील की मदद से उस स्थान से लंका तक का पुनर्निमाण करवाया। नल व नील ने भगवान राम की सेना की मदद से यह निर्माण किया। उस वक्त इस रामसेतु का नाम नल सेतु रखा गया।

Hindi News / Chennai / तमिलनाडु से जुड़ी है भगवान राम की यादें

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.