करार का मुख्य उद्देश्य सड़क सुरक्षा के उपायों को बढ़ाना, सड़क पर दुर्घटनाग्रस्त लोगों की जान बचाने और राज्य में दुर्घटना के मामलों में कमी के बेहतर उपाय करने के लक्ष्य से सरकार में हर स्तर पर सक्षमता और कार्य क्षमता बढ़ाना है।
करार को अहम बताते हुए राजस्थान सरकार के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खचरियावास ने कहा, हमारी सरकार हमेशा पूरे राज्य में सड़क सुरक्षा के बेहतर उपाय करने को दृढ़ संकल्प रही है ताकि कम-से-कम सड़क दुर्घटनाएं हों और इनसे मृत्यु के मामलों में कमी आए। इस संबंध में हम आईआईटी मद्रास के आरबीजी लैब्स से करार कर बहुत खुश हैं। इससे सड़क सुरक्षा का तमिलनाडु मॉडल लागू करने में मदद मिलेगी और हम राजस्थान सरकार के भागीदारों और आईआईटी मद्रास के बीच संपर्क-संवाद की सुविधा बढ़ाने के लिए तैयार हैं।
करार के बारे में आईआईटी मद्रास के डीन (औद्योगिक परामर्श एवं प्रायोजित अनुसंधान) प्रो. रविंद्र गेटू ने बताया, इस एमओयू से हमारे आपसी सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। आईआईटी मद्रास राजस्थान सरकार के विभिन्न भागीदरों की क्षमता का विकास करेगा और उन्हें एक सफल सड़क सुरक्षा कार्यक्रम की रूपरेखा बनाने और लागू करने में मदद करेगा।
इस करार के तहत सड़क सुरक्षा से जुड़े राजस्थान सरकार के विभिन्न विभाग भागीदार होंगे जैसे लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई), परिवहन, शिक्षा, शहरी विकास एवं आवास, स्थानीय स्व सरकार, पुलिस, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवा विभाग सहित अन्य एजेंसियां, इस पहल को सफल बनाएंगे। आईआईटी मद्रास के आरबीजी लैब्स द्वारा विकसित डिजाइन थिंकिंग अपना कर राजस्थान में सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु के मामलों में कमी करना इसका मकसद है।
इस पहल के समन्वयक प्रो. वेंकटेश बाला सुब्रमण्यन, फैकल्टी इन-चार्ज, रिहैबिलिटेशन बायोइंजीनियरिंग ग्रुप (आरजीबी) लैबरेटरी, इंजीनियरिंग डिजाइन विभाग ने इस करार के बारे में कहा, सड़कें हम सभी की साझा संपत्ति हैं और उन पर लोगों की सुरक्षा भी सभी भागीदारों की सामूहिक जिम्मेदारी है। हालांकि इस जिम्मेदारी को लेकर स्पष्टता नहीं हो और जिम्मेदारी तय नहीं की जा सके तो इसमें कमी बनी रहेगी। इसलिए डेटा के आधार पर ठोस रणनीति का विकास करना सबसे अच्छा उपाय है। इसके लिए डिज़ाइन थिंकिंग चाहिए क्योंकि केवल समस्याओं को समझ कर निदान करना पर्याप्त नहीं होगा बल्कि ऐसे बदलाव करने होंगे जो स्थानीय परिस्थितियों में स्थाई हों।
प्रो. वेंकटेश बालासुब्रमण्यन ने कहा, यह व्यापक समझौता दोनों भागीदारों को लाभ देने का करारनामा है। आवश्यक ओरियंटेशन और प्रशिक्षण कार्यक्रमों से राजस्थान राज्य सरकार के भागीदारों की सक्षमता और कार्य क्षमता दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद है। सड़क सुरक्षा को लेकर एमओआरटीएच, यानी, ‘इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस’ (आईआरएडी) के डेटा (मैग्नम ओपस) का उपयोग और लाभ लेने के दृष्टिकोण से भी इस करार की एक अनिवार्यता है। राज्य में 2030 तक सड़क दुर्घटना में 50 प्रतिशत कमी करने के एसडीजी (सतत विकास के लक्ष्य) लक्ष्य प्राप्त करने में इसका बहुत लाभ मिलेगा। अंततः सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु के मामले शून्य करने का रोड मैप तैयार होगा। दुर्घटनाग्रस्तों के आघात उपचार के लिए आईआईटी मद्रास में विकसित संस्थागत पंजीकरण के साथ डेटा आधारित देखभाल की व्यवस्था करना करार का मुख्य लक्ष्य है।