बारिश व धूप से बचाने में कारगर नहीं
ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन द्वारा पहले बस शेल्टरों का निर्माण ईंट और सीमेंट से किया जाता था जहां यात्रियों को बैठने के लिए प्रर्याप्त जगह होता थी, सीमेंट से बने शेल्टरों में लोग आराम से बैठकर बसों का इंतजार किया करते थे। लेकिन पिछले दो वर्षों में कॉर्पोरेशन ने बस शेल्टर के निर्माण में लोहे और स्टील की चद्दर का प्रयोग करना शुरू कर दिया। आधुनिक शेल्टरों के निर्माण के चक्कर में आम आदमी को परेशानी उठानी पड़ रही है। क्योंकि इन शेल्टरों से ना ही तो बारिश में बचा जा सकता है और ना ही ये धूप से बचाने में कारगर हैं। गौरतलब है कि एगमोर बस टर्मिनस, एलआईसी बस स्टॉप, मिनर्वा बस स्टॉप, भुवनेश्चरी थियेटर बस स्टॉप, केएमसी बस स्टॉप सहित सैकड़ों ऐसे शेल्टर हैं जो निर्माण के कुछ ही महीनों में टूट गए हैं जो यात्रियों की सुरक्षा के काबिल नहीं है।
शरीर लगता है जलने
&लोहे, स्टील और फाइबरयुक्त बस शेल्टर धूप में बेहद गर्म हो जाता है, जिनमें गरमी के समय में बैठना तो दूर उसकी छाया में खड़े होने में भी शरीर जलने लगता है। यह शेल्टर बस स्टॉप का एक संकेतक भर है जिससे यह पता चलता है कि यहां बस स्टॉप है।-मुकेश मिश्रा, अरमेनियम स्ट्रीट
सालभर के अंदर ही टूट गया शेल्टर
&पिछले साल ही मिनर्वा बस स्टॉप पर शेल्टर का निर्माण हुआ था। यहां के स्थानीय निवासियों के मांग के बाद ही यहां शेल्टर बनाया गया था, लेकिन फाइबर से बना यह शेल्टर साल भर के अंदर टूट गए हैं। और लोग धूप में खड़े होने को विवश हैं।-मोहम्मद चांद बाशा, दुकानदार, मन्नाडी
दिखावटी लगते हैं शेल्टर
&यह सरकार पूर्णरुपेण दलाली पर उतर आई है, इस बस शेल्टरों के निर्माण में कॉर्पोरेशन अधिकारियों समेत सरकार भी शामिल है। आमजन की सुरक्षा के लिए यह शेल्टर सिर्फ दिखावटी ही हैं। -आर.सेल्वम, डीएमके कार्यकत्र्ता
शेल्टर के निर्माण के लिए जगह नहीं
&यात्रियों के सुविधा के लिए ही शेल्टर का निर्माण हुआ है। अधिकांश सडक़ों पर शेल्टर के निर्माण के लिए माकूल जगह नहीं है। सीमेंट के शेल्टरों के लिए अधिक जमीन की आवश्यकता होती है। इसलिए इन स्टील छत वाले शेल्टरों का निर्माण किया गया है। -कॉर्पोरेशन अधिकारी