पीडि़तों को दिए गए बिजली के झटके इस अवैध कार्य में लिप्त कराने से पहले पीड़ितों के पासपोर्ट जबरन जब्त कर लिए गए और काम करने से इनकार करने पर उन्हें शारीरिक शोषण, यातना और बिजली के झटके जैसी क्रूरता का सामना करना पड़ा। उनकी रिहाई के लिए फिरौती की मांग की गई, ताकि पीड़ित अपने देश वापस लौट सकें। हालांकि, कुछ पीड़ित इन घोटालेबाजों से बच निकलने में कामयाब रहे और संबंधित दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में भारतीय दूतावास ने उनकी वापसी के लिए यात्रा दस्तावेजों की व्यवस्था की।
1,285 लोगों का विवरण तमिलनाडु पुलिस ने इस साइबर गुलामी के खिलाफ कार्रवाई की है और 1,285 लोगों का विवरण एकत्र किया है जो इन देशों की यात्रा करने के बाद अभी तक राज्य में वापस नहीं आए हैं। यह जानकारी आई4सी द्वारा सभी राज्यों की एजेंसियों के साथ बैठक के बाद साझा की गई। 1,285 व्यक्तियों में से 1,155 ने साइबर धोखाधड़ी से संबंधित कारणों जैसे शिक्षा या रोजगार के लिए यात्रा की थी। इनमें से 246 वापस आ गए हैं और उन्होंने कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई क्योंकि वे अन्य गतिविधियों में लगे हुए थे।
10 अवैध भर्ती एजेंसियों पर कार्रवाई विज्ञप्ति में कहा गया है कि अधिकारी वर्तमान में सूची से 114 व्यक्तियों का पता लगा रहे हैं। सीबी-सीआइडी की जांच के बाद, मानव तस्करी और भारतीय उत्प्रवास अधिनियमों के तहत तमिलनाडु के सेलम, कडलूर, तंजावुर, तिरुवारूर, मदुरै, अरियलूर, मदुरै सिटी और विरुदनगर सीबीसीआइडी इकाइयों में नौ मामले दर्ज हुए हैं। जांच के दौरान, 10 अवैध भर्ती एजेंसियों के कर्ता-धर्ताओं को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
पीडि़तों की जुबानी पीड़ितों ने सीबी-सीआइडी को बताया कि उन्हें कड़ी सुरक्षा वाले स्कैम कंपाउंड में हिरासत में रखा गया, जहां उनके पासपोर्ट और मोबाइल फोन जब्त कर लिए गए और उन्हें ऑनलाइन घोटाले करने के लिए मजबूर किया गया। उन्हें शारीरिक शोषण, बिजली के झटके, भूख से मरने और अन्य क्रूरताओं का सामना करना पड़ा। तमिलनाडु पुलिस ने यह भी पुष्टि की कि पीड़ितों को उनके वादे के अनुसार वेतन नहीं दिया गया और उन पर जुर्माना लगाया गया, उनके वेतन से दंड काटा गया। जांच में आगे पता चला कि मानव तस्करी के अलावा, धोखेबाजों ने कंबोडिया और लाओस में घोटाले करने के लिए आम नागरिकों के नाम पर पहले से सक्रिय सिम कार्ड और सक्रिय बैंक खातों का उपयोग किया। घोटालेबाजों ने घोटाले के पैसे को जमा करने के लिए भारतीय बैंक खातों का इस्तेमाल किया, जिसे बाद में क्रिप्टोकरेंसी में बदल कर उनके देश में स्थानांतरित कर दिया गया।