तमिलनाडु में चुनाव का मौसम हो और बिरयानी की खुशबू ना आए, ऐसा हो ही नहीं सकता। तंडियारपेट में एम. अबू भाई की रसोई में तीन बड़े-बड़े कढ़ाहों में तेल गरम हो रहा है, लकडिय़ां चटक रही हैं, प्याज़, मिर्च और मसाले तेल में चटक रहे हैं। एक हफ्ते बाद यह रसोई शहर की कई अन्य रसोईयों की तरह बिना रुके काम करेगी, क्योंकि 19 अप्रेल को लोकसभा चुनाव हैं। राजनीतिक दलों के ऑर्डर पर यहां हजारों किलो बिरयानी तैयार की जाएगी। आखिरकार, चुनाव के बाद बिरयानी एक जश्न का खाना है उन कार्यकर्ताओं के लिए जो चुनाव में अपनी ड्यूटी पूरी कर चुके होंगे।
चीजें चुनाव से एक हफ्ते पहले ही तय होंगी
डीएमके, अन्नाद्रमुक, एनटीके, कांग्रेस और डीएमडीके से मांग की पूछताछ शुरू हो चुकी है। तीसरी पीढ़ी के बिरयानी मास्टर अबू भाई ने कहा चीजें चुनाव से एक हफ्ते पहले ही तय होंगी। उनके अनुसार लगभग 15 साल पहले तक चेन्नई में बिरयानी का मतलब था रायपुरम और कभी-कभार सेंट्रल व साउथ चेन्नई के कुछ आलीशान होटल।
बिरयानी पहली पसंदडॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता और कमेंटेटर, कोम्बै एस. अनवर कहते हैं कि 2000 के दशक की शुरुआत तक बिरयानी चुनावों से जुड़ी नहीं थी। बिरयानी सभी वर्ग के लोगों की पसंदीदा है, इसे मतदाताओं को मतदान केंद्र तक लाने के लिए एक आसान तरीके के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इसे पैक करना आसान है। शायद यही कारण है कि यह चुनाव का भोजन बन गया।