मंत्री ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि सडक़ों पर यातायात का बोझ कम करने के लिए आधुनिक तकनीक से चौड़ी बहु-लेन और गुणवत्ता वाली पक्की सडक़ों का निर्माण किया जा रहा है। तमिलनाडु के राष्ट्रीय राजमार्गों पर सबसे ज्यादा ब्लैक स्पॉट हैं।
उन्होंने बताया कि तमिलनाडु में परिवहन अनुसंधान प्रभाग द्वारा 748 ब्लैक स्पॉट की पहचान की गई है। ट्रैफिक रिसर्च यूनिट के अनुसार 500 मीटर के अंतराल के भीतर पिछले तीन वर्षों में 5 बड़ी सडक़ दुर्घटनाएं या 10 लोगों की मौत वाले दुर्घटनास्थल को ब्लैक स्पॉट के रूप में चिन्हित किया गया है।
क्यों हो रहीं दुर्घटनाएं
मंत्री ने अधिकारियों से पूछा कि जब ब्लैक स्पॉट की पहचान की जा चुकी है। सुरक्षा उपाय किए गए हैं तो उन्हीं क्षेत्रों में वापस दुर्घटनाएं घटने का क्या कारण है? इन कारणों की गहन जांच होनी चाहिए। तमिलनाडु में राजमार्ग इंजीनियरों को दिल्ली से अधिकारियों को लाकर प्रशिक्षित किया जाएगा।
सोलर लाइट
मंत्री ने राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य राजमार्ग, यातायात पुलिस और स्थानीय निकायों को सडक़ सुरक्षा कार्य में तेजी लाने और सडक़ दुर्घटनाओं को रोकने के लिए प्रमुख चौराहों और मोड़ों पर सोलर लाइट लगाने की सलाह दी। उन्होंने जोर दिया कि सडक़ सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राजमार्ग विभाग को यथासंभव सहयोग करना चाहिए।
सडक़ सुरक्षा उपाय
वेलू ने बताया कि सरकार सडक़ सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बड़े और छोटे पुलों का निर्माण कर रही है। सडक़ों को चौड़ा कर रही है। अतिक्रमण हटा रही है। बायपास का भी निर्माण हो रहा है। सरकार के विविध उपायों के बाद भी मोटर चालकों और पैदल चलने वालों को सडक़ के नियमों का पूरी तरह से पालन करना चाहिए। जिन क्षेत्रों में यातायात अधिक है, उन क्षेत्रों की तत्काल पहचान की जाए। जरूरी होने पर फ्लाईओवर आदि के निर्माण की कार्ययोजना बनाई जाए।