तुरंत फीस देने के लिए बाध्य न करें
उच्च शिक्षा क्षेत्र के नियामक यूजीसी ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से कहा है कि वे छात्रों को तुरंत फीस देने के लिए बाध्य न करें और व्यक्तिगत मामलों को सहानुभूतिपूर्वक देखें। चांसलर और प्रिंसिपल को लिखे पत्र में, यूजीसी ने कहा है कि उसे छात्रों और अभिभावकों से शिकायत मिली थी कि विश्वविद्यालय और कॉलेज वार्षिक, सेमेस्टर ट्यूशन शुल्क, परीक्षा शुल्क इत्यादि के तत्काल भुगतान पर जोर दे रहे हैं।
उच्च शिक्षा क्षेत्र के नियामक यूजीसी ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से कहा है कि वे छात्रों को तुरंत फीस देने के लिए बाध्य न करें और व्यक्तिगत मामलों को सहानुभूतिपूर्वक देखें। चांसलर और प्रिंसिपल को लिखे पत्र में, यूजीसी ने कहा है कि उसे छात्रों और अभिभावकों से शिकायत मिली थी कि विश्वविद्यालय और कॉलेज वार्षिक, सेमेस्टर ट्यूशन शुल्क, परीक्षा शुल्क इत्यादि के तत्काल भुगतान पर जोर दे रहे हैं।
वैकल्पिक भुगतान विकल्पों की पेशकश पर हो सकता है विचार
यूजीसी ने कहा कि पत्र के अनुसार अभिभावक लॉकडाउन के कारण वित्तीय कठिनाई का सामना करने के कारण वे शुल्क का भुगतान करने की स्थिति में नहीं हैं इसलिए यह अनुरोध किया जाता है कि मौजूदा असाधारण कठिन परिस्थितियों के मद्देनजर, विश्वविद्यालय और कॉलेज वार्षिक / सेमेस्टर शुल्क, शिक्षण शुल्क, परीक्षा शुल्क आदि के भुगतान के संबंध में कठिन समय को देखते हुए विचार कर सकते हैं, जब तक की स्थिति सामान्य नहीं हो जाती। वहीं यदि संभव हो तो छात्रों के लिए वैकल्पिक भुगतान विकल्पों की पेशकश करने पर भी विचार किया जा सकता है।
यूजीसी ने कहा कि पत्र के अनुसार अभिभावक लॉकडाउन के कारण वित्तीय कठिनाई का सामना करने के कारण वे शुल्क का भुगतान करने की स्थिति में नहीं हैं इसलिए यह अनुरोध किया जाता है कि मौजूदा असाधारण कठिन परिस्थितियों के मद्देनजर, विश्वविद्यालय और कॉलेज वार्षिक / सेमेस्टर शुल्क, शिक्षण शुल्क, परीक्षा शुल्क आदि के भुगतान के संबंध में कठिन समय को देखते हुए विचार कर सकते हैं, जब तक की स्थिति सामान्य नहीं हो जाती। वहीं यदि संभव हो तो छात्रों के लिए वैकल्पिक भुगतान विकल्पों की पेशकश करने पर भी विचार किया जा सकता है।