दरअसल केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने केंद्र सरकार को पुराने वाहनों के रजिस्ट्रेशन शुल्क को बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा है, और अगर सरकार ये प्रस्ताव स्वीकार कर लेती है तो पुराने वाहनों का रजिस्ट्रेशन शुल्क एक-दो गुना नहीं बल्कि पूरे 25 गुना बढ़ जाएगा। भेजे गए प्रस्ताव में कहा गया है कि पुराने प्राइवेट वाहनों का फिर से रजिस्ट्रेशन कराने की फीस को 25 गुना बढ़ाया जाएगा तथा कमर्शियल वाहन के वार्षिक फिटनेस टेस्ट की फीस को 125 गुना अधिक किया जाए। वाहनों द्वारा फैलाये जा रहे प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए सरकार ऐसे कदम उठा रही है।
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फिटनेस टेस्ट के लिए चुकाना होंगे 20000 रुपए-
सरकार के इस नए नीति के अनुसार पुराने ट्रक या बस जैसे वाहनों का फिटनेस टेस्ट फीस 200 रुपयें से 25,000 रुपये किया जा सकता है। वहीं कैब/टैक्सी या मिनीट्रक को एक फिटनेस टेस्ट के लिए 15,000-20,000 रुपये चुकाना पड़ सकता है। आपको बता दें कि कमर्शियल गाड़ियों का फिटनेस टेस्ट हर साल कराना होता है।
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इन वाहनों पर नहीं लागू होगा ये नियम-
यहां ध्यान देने लायक बात ये है कि कर्मशियल वाहनों के पुनः रजिस्ट्रेशन फीस में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की जायेगी। न ही प्राइवेट वाहनों के लिए फिटनेस टेस्ट वाला नियम लागू होगा ।
हर 5 साल में कराना पड़ता है रजिस्ट्रेशन-
प्राइवेट वाहनों का रजिस्ट्रेशन की 5 साल के लिए वैलिड होता है। इसलिए ओनर हर 5 साल में फिर से रजिस्ट्रेशन करा सकते है।
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नए नियम के तहत 15 साल से पुराने दोपहिया या तिपहिया वाहन के पुनः रजिस्ट्रेशन फीस को 300 रुपये से बढ़ाकर 2000-3000 रुपये किया जा सकता है तथा चार पहिया वाहन का रजिस्ट्रेशन फीस 600 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये किया जा सकता है।
नए वाहन खरीदने पर मिल सकती है छूट-
जहां एक ओर पुरानी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन महंगा कर देने का प्लान है वहीं सरकार इन वाहनों के बदले में नए वाहन खरीदने पर खरीदारी में छूट भी देगी और आपके पुराने वाहनों को कबाड़ में बदला जाएगा ।