दरअसल कार की लाइफ मेनटेन रखते हुए ड्राइविंग करना एक आर्ट है।लगभग सभी ड्राइवर्स कार को गरम करना जरूरी समझते हैं लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि क्या सच में ऐसा करना जरूरी है। दरअसल पहले कारों में कार्बोरेटर लगा होता था और इसीलिए कार को चलाने से पहले कुछ देर तक गर्म किया जाता था क्योंकि कार को स्टार्ट करने के लिए उसमें लगी मैनुअल चॉक केबल को खींचना पड़ता था। जिससे कि कार स्मूद स्टार्ट होती थी। लेकिन अब टाइम और टेक्नोलॉजी दोनो बदल चुके हैं। मार्डन कारों में ऐसा कुछ करने की जरूरत नहीं होती क्योंकि कारें कूल्ड टेम्प्रेचर इंजन के साथ आती है।
Volvo की इस कार से नहीं होंगे एक्सीडेंट, टक्कर होने से पहले अपने आप लग जाता है ब्रेक इसके अलावा कारों में एयर प्रेसर सेंसर, एयर टेंपरेचर सेंसर और अन्य तकनीकियों भी होती हैं। जब आप कार को स्टॉर्ट करते हैं तो ये सभी सेंसर अपना काम शुरू कर देते हैं, और कार को जरूरी वॉर्म अप भी प्रदान करते हैं। इस तकनीकी को ओपेन लूप के नाम से भी जाना जाता है।
ओपेन लूप तकनीकि के दौरान कार गर्म हो जाता है और इस बीच, कार में प्रोग्राम किया गया मैकेनिज्म इंजन को प्रतिपूर्ति करने के लिए मजबूर करता है। एक बार ऐसा होने के बाद, इंजन बंद लूप में प्रवेश करता है और वो गर्म हो जाता है। यहां तक कि अगर कार को थोड़ी देर के लिए बंद भी कर देते हैं तब भी दोबारा कार को गर्म करने की कोई जरूरत नहीं होती है। वाहन के स्टॉर्ट होते ही इंजन स्वयं ही खुद को गर्म करना शुरू कर देता है, ये सारी प्रक्रिया इतनी तेजी से होती है कि, कार चालक को इन सब बातों का पता भी नहीं चलता है।
यानि अगर आपके पास विंटेज कार नहीं है तो आपको वार्म अप करने की जरूरत नहीं होगी।