क्या रही वजह?
रतन टाटा द्वारा बताई गई वजह विशेष रूप से कम प्रति व्यक्ति आय वाले लोगों के सामने आने वाली कुछ समस्याओं पर प्रकाश डालती है। उन्होंने बताया कि कैसे वे भारतीय परिवारों को एक ही दोपहिया वाहन पर इकठ्ठा होते देखा करते थे। रतन टाटा ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में साझा किया कि उन्होंने भारतीय परिवारों को एक ही दोपहिया वाहन में तीन और कभी-कभी इससे भी अधिक लोगों के साथ देखा। लोग खतरनाक फिसलन भरी सड़कों पर चला करते थे। फिर उन्होंने बताया कि कैसे वह इसे बदलना चाहते हैं और टू-व्हीलर को सुरक्षित बनाना चाहते हैं। हालांकि, उन्होंने दोपहिया वाहन की सवारी को सुधारने के बजाय एक कार लॉन्च करने का फैसला किया।
2008 में हुई Tata Nano लॉन्च
अपने पोस्ट में रतन टाटा ने कहा कि वह लगातार भारतीय परिवारों को स्कूटर पर देख रहे थे, बच्चे को माँ और पिता के बीच सैंडविच बनता देख उन्होंने इस तरह के एक वाहन का उत्पादन करने की इच्छा जगाई। “पहले तो हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे थे कि दोपहिया वाहनों को कैसे सुरक्षित बनाया जाए। लेकिन मैंने आखिरकार फैसला किया कि इसके बजाय यह एक कार होनी चाहिए। जो लोगों को सुरक्षित रखे।” इस सोच के साथ टाटा नैनो को साल 2008 में महज 1 लाख रुपये की चौंकाने वाली कीमत पर लॉन्च किया गया था।
Tata Electric Nano ?
कंपनी को अपने उत्पाद पर भरोसा था और उसने हर साल लगभग 2.5 लाख यूनिट बेचने की योजना बनाई थी। हालांकि, लोगों ने कंपनी का विश्वास तोड़ दिया और नैनो की ब्रिकी नहीं हो पाई। कार की सुरक्षा को लेकर चिंताएं जायज थीं। लेकिन तुलना दोपहिया वाहनों से नहीं बल्कि अन्य महंगी कारों से की गई थी। 2017 में, कंपनी ने घोषणा की कि नैनो प्रोजक्ट घाटे में चल रहा है। इसके बावजूद, टाटा ने 2018 तक वाहन का उत्पादन जारी रखा।लॉन्च के एक दशक बाद टाटा नैनो का उत्पादन बंद कर दिया गया। ऐसी चर्चा थी कि टाटा इसे ईवी के रूप में वापसी ला सकती है। लेकिन कंपनी ने स्पष्ट कर दिया है कि नैनो का उपयोग ईवी के रूप में नहीं किया जाएगा।