कार चलाते हैं तो ध्यान रखें काम की ये 7 बातें, हमेशा रहेगी हैप्पी जर्नी वर्तमान में Renault की भारत में तीन कारें हैं। इनमें Kwid हैचबैक, Triber MPV और Duster SUV शामिल हैं। कंपनी ने हाल ही में कैप्चर (Captur) को बंद कर दिया है, जो यूरोपीय बाजारों में एक लोकप्रिय क्रॉसओवर है। ज़ो के अलावा ट्विज़ी, कांगू और मास्टर के साथ अपने पोर्टफोलियो में कई इलेक्ट्रिक वाहन होने के बावजूद रेनॉ ने भारत में अभी तक एक भी ईवी को नहीं उतारा है। भारत में अभी भी इलेक्ट्रिक कारें मुख्यधारा में आने से काफी दूर हैं।
Renault Zoe का हाल ही में एक मिडलाइफ अपग्रेड हुआ था और WLTP टेस्ट साइकिल में इस कार की सीमा 395 किलोमीटर तक की है। इस कार में लगी 52 kWh की क्षमता वाली नई ZE 50 लिथियम-आयन बैटरी इस लंबी रेंज के लिए वो आधार बनाती है जो इसे इतनी दूरी तक चलने में ताकत प्रदान करती है।
नहीं हटेंगी नजरें, Hyundai ने दिखाई आने वाली 2020 i20 की झलक नई R135 इलेक्ट्रिक मोटर को पूरी तरह से कंपनी द्वारा इन-हाउस में विकसित किया गया था, इस कार को अधिकतम 135 PS की पावर और 245 NM टॉर्क का आउटपुट प्रदान करती है।
ज़ो में बी-मोड ड्राइविंग प्रोग्राम है जो पहली बार सिंगल-पेडल ड्राइविंग को सक्षम बनाता है। ब्रेक को लागू करने की बजाय ज्यादातर मामलों में फिर से पावर मिलने में होने वाली यह देरी पर्याप्त है। इस दौरान ज़ो की इलेक्ट्रिक मोटर एक जनरेटर की तरह काम करती है जो बैटरी में बिजली को भेजती है। इसलिए बी-मोड का लगातार इस्तेमाल रेंज का फायदा पहुंचाता लाता है। बी-मोड पहले से ही स्टैंडर्ड एक्विपमेंट का हिस्सा है और 7 किमी प्रति घंटे की ड्राइविंग गति से एक्टिव है।
राजधानी के बिगड़ते हालात, दिल्ली में लगातार चौथे दिन AQI बहुत खराब इलेक्ट्रॉनिक पार्किंग ब्रेक के सप्लीमेंट के रूप में नई ज़ो में स्टैंडर्ड के रूप में ऑटो-होल्ड फ़ंक्शन के साथ हिल स्टार्ट भी दिया गया है। यह फीचर्स कार को स्थिर होने पर चालक को अपने पैर को ब्रेक से हटाने की अनुमति देता है और ज़ो को ऊंचाई या नीचे के ढलानों में स्थिर रहने में मदद करता है।