पेट्रोलिंग से लेकर युद्ध तक में भारतीय सेना का साथ देती है ये कारें
बोल्ड कलर्स- बोल्ड यानि चटक, चमकीले रंग। पीले, हरे , ऑरेंज कलर जैसे रंग वाली कारों के लिए खरीदार मिलना बेहद मुश्किल होता है क्योंकि ये कलर आपकी पर्सनल च्वायस तो हो सकते हैं लेकिन एक आम आदमी को कार में ऐसे कलर नहीं भाते हैं। अक्सर लोग आम दिखने वाले रंगों की कार्स लेते हैं। इसीलिए अगर आप कार ले रहे हैं तो हमेशा कलर उसकी रीसेल वैल्यू को देखते हुए खरीदें क्योंकि आपकी कलर च्वायस बाजार में कार की कीमत घटा सकती है।
ब्रांड मैटर करता है-सेकेंड हैंड कार मार्केट में ब्रांड मैटर करता है। जितनी पापुलर कार होती है उसकी रीसेल वैल्यू उतनी ही ज्यादा होती है। Maruti, Honda और Toyota जैसी कारों की पुरानी कारें भी मालिकों को अच्छई कीमत दिला देती है।
एक्सटेंडेड वारंटी- डीलर्स कार बेचते समय हमें एक्सटेंडेड वारंटी लेने की बात कहता है लेकिन हम थोड़े से पैसे बचाने के लिए एक्सटेंडेड वारंटी नहीं लेते हैं। इसलिए कार खरीदते समय एक्सटेंडेड वारंटी कार ओनर को ना सिर्फ मन की शान्ति देती है बल्कि इससे कार की रीसेल वैल्यू भी बढ़ जाती है।
सर्विस हिस्ट्री न होना-सर्विस हिस्ट्री वाली सेकंड हैण्ड कार्स की रीसेल वैल्यू ज़्यादा होती है। कस्टमर को लगता है की जो कार वो खरीद रहा है उसे अच्छे से रखा गया है और इसलिए उसे ज़्यादा पैसे देने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।
जंगी लगी हुई, एक्सीडेंट वाली कार- अगर आपकी कार में जंग लंग है या उसका एक्सीडेंट हो चुका है तो मार्केट में आपकी कार के लिए खरीदार मिलना बेहद मुश्किल होता है। ज़ंग साफ़-साफ़ ये बताता है की कार को अच्छे से मेन्टेन नहीं किया गया है। इसलिए वो कार जिसमें थोड़ी सी भी ज़ंग लगी हो, उसकी रीसेल वैल्यू कम हो जाती है।