दरअसल कार खरीदने से पहले आपको बॉयर से टेस्ट ड्राइव की परमीशन लेनी होगी और ये टेस्ट ड्राइव कम से कम 60 किमी की होनी चाहिए। अगर कार के अंदर किसी तरह का डिस्कम्फर्ट है या कोई पुर्जा ठीक से काम नहीं कर रहा तो इतनी लंबी ड्राइव में आपको सब पता चल जाएगा।
ऐसे होती है मीटर से छेड़-छाड़-
आजकल सभी कारें डिजिटल ओडोमीटर के साथ आती हैं जिसमें सर्किट बोर्ड के साथ चिप लगी रहती है। इसी चिप में ओडोमीटर की रीडिंग स्टोर रहती है। ऐसे में मैकेनिक या तो बोर्ड में लगी चिप की जगह अपनी रीडिंग चिप लगा देते हैं या फिर OBD2 रीडर्स की मदद से ऑरिजनल चिप में रीडिंग को बदल देते हैं। बता दें OBD2 रीडर्स को कार में लगे OBD2 पोर्ट से कनेक्ट करके ऐसा किया जाता है।
यानि कार द्वारा तय की गई दूरी को कम करके दिखाते हैं, लेकिन जब आप लॉांग ड्राइव पर जाते हैं तो कार के स्पीडोमीटर के डिजिट्स ओरिजनल फार्म में आ जाते हैं और आप जान सकते हैं कि कार के स्पीडोमीटर के साथ छेड़छाड़ हुई थी।
आप भले ही कार के बारे में सबकुछ जानते हों लेकिन खरीदने से पहले एक बार कार को प्रोफेशनल मकैनिक से चेक कराना जरूरी होता है।इसके अलावा कार के सर्विसिंग सेंटर से कार का सही हाल पता कर सकते हैं।