आज हम आपको अपने इस (Auto History) सीरीज़ की पहली किस्त में ऐसे ही एक दिलचस्प किस्से से रूबरू कराएंगे, और आपको सहजता से ये बताने की पूरी कोशिश करेंगे कि आखिर भारत की पहली कार कौन सी थी। अब तक शायद आपके जेहन में कुछ नाम आने भी शुरू हो गए होंगे, लेकिन इससे पहले कि आपका मन भटके आपको बता दें कि, हिंदुस्तान 10 (Hindustan 10) देश की पहली कार थी जिसका निर्माण भारत में किया गया था, तो आइये जानते हैं इस कार के बारे में –
कारें तकरीबन सात दशकों से अधिक समय से भारतीय जीवन का अभिन्न अंग रही हैं। आज के समय में जब सड़कों पर बम्पर टू बंपर ट्रैफिक आपकी सांसें रोकने पर आमदा होता है, ऐसे में देश की पहली कार के बारे में बात करना आपको थोड़ा सकून जरूर देगा। एक समय था जब कारें कम थीं और सड़कें खाली थीं, उन दिनों देश में कारों के मालिक जमशेदजी टाटा जैसे भारतीय मोटरिंग इंडस्ट्री के दिग्गज ही हुआ करते थें, जब हम इतिहास को थोड़ा खंगालते हैं तो पता चलता है कि ये वो शख्स थें जिनके पास पहली कार थी।
यूं तो भारत में पहली कार सन 1896 में देखने को मिली थी, जिसे आयात करके भारत लाया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सन 1901 में जमशेदजी टाटा ने भारत में पहली कार इंपोर्ट की थी। वो ऐसा दौर था जब भारत में कारों को जर्मनी, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देशों से इम्पोर्ट कर के लाया जाता था। उस वक्त भारत में कोई ऐसी कंपनी नहीं थी, जो कि कारों का निर्माण यहां की सरज़मी पर करे।
हिंदुस्तान की पहली कार:
देश के ऑटो इंडस्ट्री में ये महत्वपूर्ण स्थान रखने वाली मॉडल थी हिंदुस्तान 10, जो कि ब्रिटेन की एक रिबैज मॉरिस 10 सीरीज एम थी। इसे हिंदुस्तान मोटर्स लिमिटेड द्वारा साल 1949 में गुजरात के पोर्ट ओखा में एक छोटी सी फेसिलिटी में असेंबल किया गया था। इस कार में उस वक्त 1.3 लीटर की क्षमता का ओवरहेड-वॉल्व इंजन का इस्तेमाल किया गया था, जो कि अधिकतम 37 bhp की पीक पावर जेनरेट करता था, ये पावर आज के समय में मारुति ऑल्टो 800 से भी काफी कम है। इस इंजन में कंपनी ने 4-स्पीड गियरबॉक्स को शामिल किया था, ये इंजन MG TC में भी इस्तेमाल किया गया था, लेकिन उसे इस तरह से ट्यून किया गया था कि वो ज्यादा पावर जेनरेट करता था।
भारत की पहली कार में यूनिटरी कंस्ट्रक्शन के साथ चेसिस, ठोस फ्रंट और रियर एक्सल के साथ लीफ स्प्रिंग सस्पेंशन का सपोर्ट दिया गया था। इसका वजन 934 किलोग्राम था। जब इसे पिकअप बॉडी स्टाइल में पेश किया गया, उस वक्त यूके में यह वाहनों के प्रसिद्ध ‘टिलीज़’ समूह में शामिल हो गया, जिसमें कई ब्रिटिश निर्माताओं ने अपने कारों में लोड कैरियर के तौर पर भी पेश किया था।
कंपनी का दावा था कि, इस कार की टॉप स्पीड 100 किलोमीटर प्रतिघंटा है। जाहिर है कि उस वक्त सड़कें खाली थीं और बहुत से इलाके ऐसे भी थें जहां पर कारों से इतनी अच्छी तरह परिचित भी नहीं थें। ऐसे में ये स्पीड उस वक्त के हिसाब से काफी मुफीद रही होगी, क्योंकि रोड इंफ्रास्ट्रक्चर भी शुरुआती दौर में था।
इंटरनेट पर ऐसी ही तस्वीर टीम बीएचपी की एक रिपोर्ट में मिलती है, जिसमें देश की पहली मेड-इन-इंडिया कार Hindustan 10 का एक विज्ञापन देखने को मिलता है। इस विज्ञापन एक तारीख भी दर्ज है जो कि 28 नवंबर 1945 की है। इस विज्ञापन में लिखा गया है कि, हिंदुस्तान 10 देश की पहली कार है, जिसे ख़ास तौर पर भारतीय दशाओं के आधार पर तैयार किया गया है, अब आप इसे हमारे डिस्ट्रीब्यूटर शोरूम में देख सकते हैं। यहां पर डिस्ट्रीब्यूटर के नाम के तौर पर फ्रेंच मोटर कार कंपनी लिमिटेड का नाम दर्ज है, जो कि उस वक्त के बॉम्बे (आज की मुंबई) के ह्यगेज रोड पर स्थित था।
कंपनी पर एक नज़र:
हिंदुस्तान मोटर्स लिमिटेड (HML) भारत की अग्रणी ऑटोमोबाइल निर्माण कंपनी थी, जिसका मुख्यालय कोलकाता, पश्चिम बंगाल में स्थित है। इसकी स्थापना भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 से ठीक पहले 1942 में उद्योगपति बिड़ला परिवार के बी.एम. बिरला द्वारा मॉरिस मोटर्स के लॉर्ड नफिल्ड के सहयोग से की गई थी, जो पहले से ही भारत में अपनी कारें बेच रहे थे। गुजरात के पास पोर्ट ओखा में एक छोटे से असेंबली प्लांट में संचालन शुरू करते हुए, निर्माण सुविधाएं बाद में 1948 में उत्तरपारा, पश्चिम बंगाल में चली गईं, जहां इसने मॉरिस द्वारा डिजाइन किए गए हिंदुस्तान एंबेसडर का उत्पादन शुरू किया।
मारुति उद्योग के उदय से पहले कंपनी भारत में सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी थी। हिन्दुस्तान मोटर्स ने 1957 से लेकर 2014 के दौरान बेहद लोकप्रिय भारतीय एंबेसडर और लैंडमास्टर मोटरकार (1956 मॉरिस ऑक्सफ़ोर्ड सीरीज़ III पर आधारित) का निर्माण किया। ये भारत में मूल तीन कार निर्माताओं में से एक है। इसकी एंबेसडर अपने समय की सबसे मशहूर कारों में से एक थी, जिसकी सवारी देश के दिग्गज़ नेता से लेकर अभिनेता तक सभी करते थें।