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Who is Poor: बढ़ती महंगाई से बदली गरीबी की परिभाषा, अब रोज इतने रुपए से कम कमाई करने वाला बेहद गरीब

पिछले दो साल के कोविड काल में दुनिया के करोड़ों लोगों की कमाई में कमी आई है और इस बीच महंगाई कई सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है (Poverty and Inflation psot covid)। बढ़ती महंगाई से अब विश्व बैंक ने भी गरीबी के पैमाने या यों कहें कि परिभाषा ही बदल दी है। विश्व बैंक के अनुसार, जो व्यक्ति प्रतिदिन 2.15 डॉलर या उससे कम कमाता है, उसे अत्यंत गरीब माना जाएगा।

Jun 07, 2022 / 09:55 am

Swatantra Jain

विश्व बैंक ने अत्यंत गरीब के लिए अब नया मानक स्थापित किया है। अब यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन 167 रुपए (2.15 डॉलर) से कम कमाता है तो वह अत्यंत गरीब माना जाएगा। इससे पहले रोज 145 रुपए तक कमाने वाले अत्यंत गरीब माने जाते थे। विश्व बैंक पिछले दिनों भर में महंगाई के रिकॉर्ड छूती दरों के बीच गरीबी के इन मानकों में बदलाव किया है।
समय-समय पर होता रहता है बदलाव

विश्व बैंक समय-समय पर महंगाई, जीवन-यापन के खर्च में वृद्धि समेत कई मानकों के आधार पर अत्यंत गरीबी रेखा की परिभाषा में बदलाव करता रहता है। विश्व बैंक नया मानक इस साल के अंत तक लागू करेगा। बता दें, पिछले दिनों विश्व बैंक ने एक रिपोर्ट में बताया था कि भारत में आठ साल में गरीबी 12.3% घटी है। शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी तेजी से कम हुई है। रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत ने चरम गरीबी को लगभग समाप्त कर लिया है। वर्ष 2011 में गरीबी की दर 22.5% थी, जो 2019 में 10.2% पर पहुंच गई। भारत के योजना मंत्रालय के डेटा के मुताबिक देश में 21.92% लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में गरीबी का फीसदी 25.7, जबकि शहरी इलाकों में 13.7 है। यानी गरीबी रेखा से नीचे वालों की आबादी गांवों में ज्यादा है।
वर्ष 2017 की कीमतों के आधार पर नए मानक

नए मानक में साल 2017 की कीमतों का उपयोग करते हुए नई वैश्विक गरीबी रेखा तय ( Definition of poverty changed) की गई है। अब नई गरीबी रेखा 2.15 डॉलर निर्धारित की गई है। इसका मतलब है कि यदि कोई व्यक्ति जो हर रोज 2.15 डॉलर (भारत में मौजूदा डॉलर कीमतों पर 167 रुपए ) से कम की आमदनी पर जीवन यापन कर रहा है तो वह अत्यधिक गरीबों की श्रेणी में माना जाएगा। अभी तक अत्यंत गरीबों को मापने का मानक हर रोज 1.90 डॉलर या उससे कम की आमदनी मानी जाती है।
गरीबों की संख्या में होगा इजाफा
साल 2017 में ग्लोबल लेवल पर सिर्फ 70 करोड़ लोगों की संख्या अत्यंत गरीबी में रहने वाले लोगों की थी। मौजूदा समय में इनकी संख्या में इजाफा होना तय है। उल्लेखनीय है कि वैश्विक गरीबी रेखा को दुनिया भर में होने वाले कीमतों में बदलाव को दर्शाने के लिए बदला जाता है।

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