दुनिया शायद तैयार नहीं थी
उन्होंने कहा कि पहले यह समझा जा रहा था कि इस तरह की परिस्थितियों को आसानी से काबू में कर लिया जाएगा। मगर दुनिया शायद इस तरह के खतरे से निपटने को तैयार नहीं थी। उन्होंने कहा कि परमाणु, रासायनिक, जैविक और साइबर खतरे को तो दुनिया ने समझा, मगर इस महामारी को लेकर समाज पूरी तरह से सजग नहीं था।
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उन्होंने कहा कि महामारी से निपटने के लिए लॉकडाउन मुख्य उपाय था। मगर दुनिया बड़े पैमाने पर आपातकालीन स्थितियों के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि समाज में इस तरह की परिस्थितियां दोबारा आ सकती हैं जो एक कठिन समय है। खासकर व्यवसाय को लेकर ये सबसे मुश्किल भरा समय रहा है।
छोटे व्यवसायों पर पड़ा असर
बफे ने महामारी की रोकथाम को लेकर लगाए लॉकडान पर कहा कि उनके विचार से इसका सबसे अधिक असर छोटे व्यवसायों पर पड़ा है। वे इस झटके को सहन नहीं कर पाए। वहीं बड़े उद्योग यथोचित रूप से अच्छा कर रहे है। उन्होंने कहा कि महामारी दोबारा इस तरह की परिस्थिति बना सकती है। इस कारण हजारों लाखों छोटे व्यवसायों पर असर पड़ सकता है। मगर इस महामारी में भी अधिकांश बड़ी कंपनियों ने बहुत अच्छा किया है।
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शानदार सफलता हासिल की
बफे ने कहा कि महामारी “खत्म नहीं हुई है”, लेकिन ज्यादातर कंपनियां अच्छा कर रही हैं। विशेष रूप से, उन्होंने मोटर वाहन कंपनियों का उल्लेख किया। उनकी राय में महामारी में इन कंपनियों ने शानदार सफलता हासिल की जिसका उन्हें अनुमान नहीं था। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के दोबारा फिर से खुलने और आपूर्ति में कमी के कारण रिकॉर्ड मुनाफा दर्ज किया है।