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मानसून की मार और आपूर्ति में गड़बड़ी (Vegetables Price Hike)
इस साल मानसून के अनियमित रहने के कारण देश के कई हिस्सों में फसलों को नुकसान हुआ। कुछ राज्यों में भारी बारिश ने फसलों को नुकसान पहुंचाया, तो कहीं सूखे जैसे हालात ने उत्पादन को प्रभावित किया। यह स्थिति खासतौर पर उन राज्यों में देखने को मिली, जो सब्जियों के बड़े उत्पादक हैं, जैसे महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, और राजस्थान। आपूर्ति शृंखला में भी कई तरह की बाधाएं सामने आईं। भारी बारिश के कारण परिवहन व्यवस्था चरमरा गई और सब्जियों को मंडियों तक पहुंचाना मुश्किल हो गया। इसके अलावा, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी ने भी ट्रांसपोर्टेशन लागत को बढ़ा दिया, जिसका सीधा असर सब्जियों के खुदरा भाव पर पड़ा।
टमाटर और प्याज की आसमान छूती कीमतें (Vegetables Price Hike)
पिछले कुछ महीनों में टमाटर की कीमतों में सबसे ज्यादा उछाल देखा गया है। टमाटर की कीमतें जुलाई-अगस्त के महीने में 200 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई थीं। हालांकि सितंबर में इसमें कुछ गिरावट आई, लेकिन अक्टूबर में भी यह 80-100 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच बना हुआ है। प्याज की कीमतों में भी तेज़ी बनी हुई है। प्याज के थोक भाव में 30-40 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जिससे खुदरा बाजार में इसकी कीमत 60-80 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास हो गई है। प्याज की महंगाई का मुख्य कारण महाराष्ट्र में हुई भारी बारिश है, जिसने फसल को नुकसान पहुंचाया और उत्पादन में कमी आई।
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