40 साल के उच्चतम स्तर 8.50 प्रतिशत थी अमरीका में महंगाई अनुमान के अनुसार, फेडरल रिजर्व ने बुधवार को अपनी बेंचमार्क ब्याज दर को आधा प्रतिशत बढ़ा दिया। अमरीका रिजर्व बैंक का यह कदम तब उठाया गया है जब अमरीका में मुद्रास्फीति 40 साल के उच्च स्तर पर बनी हुई है। अमरीका में ताजा महंगाई दर 8.50 प्रतिशत मापी गई थी। इस महंगाई के खिलाफ अपनी लड़ाई में अमरीकी फेडरल बैंक का ये अब तक का सबसे आक्रामक कदम है।
दो माह में करीब 1 प्रतिशत हो गईं अमरीका में ब्याज दरें इस बढ़ोतरी के बाद अब अमरीकी में ब्याज दरें दो माह में ही करीब शू्न्य के स्तर से चढ़कर 0.75 से 1.00 प्रतिशत की रेंज में पहुंच गई हैं। विश्लेषकों का अनुमान है कि आगे भी फेडरल बैंक ब्याज दरों में इस बढ़ोतरी को जारी रखेगा और साल के अंत तक ब्याज दरें 2.50 से लेकर 3 प्रतिशत तक पहुंच सकती हैं।
ब्याज दरों में बढ़ोतरी की घोषणा करते हुए फेड के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, “मुद्रास्फीति बहुत अधिक है और हम इसके कारण होने वाली कठिनाई को समझते हैं। हम इसे काबू में के लिए तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।” पॉवेल ने कम आय वाले लोगों पर मुद्रास्फीति के बोझ को नोट करते हुए कहा, “हम मूल्य स्थिरता बहाल करने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं।”
आगे भी 0.5 प्रतिशत ही होगी बढ़ोतरी, 0.75 प्रतिशत नहीं इसका मतलब यह माना जा रहा है कि, अध्यक्ष की टिप्पणियों पर गौर करें तो, आगे कई ब्याज दरें कई 50-आधार बिंदु दर पर आगे बढ़ेंगी, हालांकि इससे अधिक आक्रामक कुछ भी होने की संभावना नहीं है। एक बार में 0.75 प्रतिशत की बढ़ोतरी की संभावना से फेडरल बैंक (Federal Bank) गर्वनर ने इंकार किया। फेड के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने कहा कि अब 0.75% से दरें बढ़ाने की सम्भावना नहीं है और अगली कुछ मीटिंग्स में 0.5% से ही दरें बढ़ाई जाएंगी। फेड के इस एक्शन के बाद अब आगे महंगाई पर काबू पाने पर फोकस किया जाएगा। चेयरमैन (Fed Chairman) ने कहा कि US की आर्थिक स्थिति ब्याज दरें बढ़ने के लिए तैयार है और 3 महीनों के लिए $47.5 अरब मासिक बांड की बिक्री करेंगे।
तो आरबीआई ने इस वजह से बढ़ाई थीं ब्याज दरें फेडरल बैंक के इस कदम से अब भारत के रिजर्व बैंक के गर्वनर शक्तिकांत दास की बुधवार 4 मई को दोपहर में अचानक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एक झटके में 0.40 प्रतिशत ब्याज दरें बढ़ने की जरूरत समझ में आती है। बता दें भारत में भी महंगाई दर पिछले अप्रेल अंत में 6.95 प्रतिशत मापी गई थी। बता दें फेडरल बैंक की प्रेस कॉन्फ्रेंस की जानकारी twitter पर भी दी गई थी।
आगे फेड का असेट्स होल्डिंग भी बेचने का ऐलान बेंचामार्क ब्याज दरों में तेज बढ़ोतरी के साथ, अमरीकी केंद्रीय बैंक ने यह भी संकेत दिया कि वह अपनी $ 9 ट्रिलियन बैलेंस शीट की असेट होल्डिंग्स को भी तेजी से कम करना शुरू कर देगा, जिसमें मुख्य रूप से ट्रेजरी और बंधक बांड शामिल हैं। फेड की होल्डिंग्स को कम करने से पूरी अर्थव्यवस्था में ऋण लागत में और वृद्धि होगी। बता दें, अमरीकी फेडरल बैंक महामारी के दौरान ब्याज दरों को कम रखने और अर्थव्यवस्था में तरलता और उपयुर्क्त कॉन्फिडेंस बनाए रखने के लिए लगातार बांड की खरीद कर रहा था, लेकिन कीमतों में भारी वृद्धि ने मौद्रिक नीति में एक नाटकीय पुनर्विचार के लिए बैंक को मजबूर कर दिया है। बता दें कि जून से $47.5 अरब डॉलर के बांड्स हर महीने बेचे जाएंगे और 3 महीनों के बाद बांड बिक्री को $95 अरब किया जाएगा।
कदम को बताया जरूरी अमरीका में शेयर बाजार दोनों चालों के लिए तैयार थे लेकिन फिर भी पूरे साल अस्थिर ही बने रहे। इस बढ़ोतरी के बाद अमरीकी शेयर बाजार में तेज रैली देखी गई। निवेशकों ने फेड पर एक सक्रिय भागीदार के रूप में भरोसा किया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बाजार अच्छी तरह से काम कर रहा है, लेकिन मुद्रास्फीति की वृद्धि ने सख्त कदम उठाया जाना अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी हो गया था।
फेड चेयरमैन का संबोधन, बेरोजगारी दर और महंगाई कम करने पर फोकस फेडरल रिजर्व बैंक गर्वनर और फेड पॉलिसी के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने कहा कि अमेरिका मे महंगाई चरम पर है। उन्होंने कहा कि इसके प्रभाव को हम अच्छी तरह से समझते हैं। हमारा फोकस महंगाई को नीचे लाना है और इसे कम करना है। चेयरमैन ने कहा कि पिछले 2 साल मे अमेरिकी अर्थव्यवस्था डगमगाई हुई है। महंगाई बहुत अधिक है। उन्होंने बताया कि मार्च में कोविड महामारी के बाद पिछले 50 सालो में बेरोजगार दर सबसे कम आंकी गई है। उन्होंने कहा कि महंगाई दर को 2 फीसदी नीचे लाना ही हमारा फोकस है।
भारतीय बाजार को लेकर एक्सपर्ट आश्वस्त कुक्कु कैपिटल से बाजार विशेषज्ञ जितेंद्र अग्रवाल का कहना है कि आरबीआई और फेड की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद अब भारतीय बाजार में रिकवरी देखने को मिल सकता है। बाजार को जो करेक्शन करना था वो कर लिया है। हालांकि, यह नहीं कहा जा सकता है कि अब बाजार में तेजी लौट आएगी। कंपनियों के नतीजे, घरेलू और वैश्विक घटनाक्रम बाजार पर असर डालेंगे। ऐसे में बाजार सापाट चाल से चल सकता है। लेकिन अग्रवाल ने आशंका जताई कि, फेड के इस फैसले से डॉलर को जरूर मजबूती मिलेगी जो रुपए को कमजोर कर सकता है। रूस-यूक्रेन संकट के कारण पहले ही रुपया कमजोर हुआ है। 2022-23 को निवेश का साल माना जा सकता है निवेशको को 3-4 साल की अवधि में आछे रिटर्न मिलने की उमीद है।
अमरीकी बाजारों ने फैसले का किया स्वागत अमरीका के केंद्रीय बैंक ( USA Federal Reserve Bank) के ब्याज दर में बढ़ोतरी के फैसले का अमरीकी बाजार (US stock Market) ने स्वागत किया है। घोषणा के बाद डाउ जोंस (Dow Jones) 850 अंक चढ़ गया। इसके साथ ही एसएंडपी 500, नैस्डैक, हैंगसैंग, कोस्पी समेत दुनिया भर कई बाजारों में बड़ी तेजी देखने को मिली है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमरीकी बाजार ने फेड चेयरमैन पॉवेल की टिप्पणियों पर उछला है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है और उपभोक्ताओं के पास पर्याप्त नकदी है। इसके अलावा, उन्होंने सुझाव दिया कि महंगाई का सबसे खराब दौर अब खत्म होने को है।