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संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी: दुनिया के पास बचा सिर्फ 70 दिन का गेहूं, भारत पर दुनिया की नजर

एक समय था जब अमरीका भारत को गेहूं निर्यात के नाम पर धमकाता था और भारत को अपमान के घूंट पीकर भी यूएस पीएल 480 (यूएस पब्लिक लॉ 480) गेहूं खरीदना होता था। भारत द्वारा इस गेहूं के आयात में शर्त होती थी कि संयुक्त राज्य अमेरिका से भारत में इसके परिवहन, भंडारण, वितरण आदि की जिम्मेदारी भारत की ही होगी। आज हालात अलग हैं। आज भारत के पास इतना खाद्यान्न है कि वह पूरी दुनिया की जरूरत पूरी कर सकता है…अमरीका भी भारत से गुहार लगा रहा है कि भारत अपना गेहूं का निर्यात न रोके…

May 23, 2022 / 09:45 am

Swatantra Jain

गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध के बाद से भारत में इसके दाम गिरना शुरू हो गए हैं। राजस्थान समेत देश के दूसरे हिस्सों में गेहूं के दामों में 200 रुपए तक की गिरावट है।

यूरोप की ‘रोटी की टोकरी’ कहे जाने वाले यूक्रेन पर रूस के हमले से खाद्यान्न आपूर्ति को लेकर हालात गंभीर होते जा रहे हैं। यूक्रेन के बंदरगाहों पर अनाज पड़ा हुआ है लेकिन युद्ध के चलते वहां से निकल नहीं पा रहा। आसन्र संकट को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि दुनिया के पास मात्र 10 सप्ताह यानी 70 दिन का गेहूं शेष बचा है। अंतरराष्ट्रीय एजेंसी के अनुसार गेहूं का भंडार 2008 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। बताया जा रहा है कि दुनिया में खाद्यान्न का ऐसा संकट एक पीढ़ी में एक ही बार होता है। यूक्रेन संकट और भारत के गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध के बाद यूरोप के देशों में गेहूं की कमी होती जा रही है। हालात ऐसे ही रहे तो यूरोपीय देश खाने के लिए तरस सकते हैं। गो इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के अनुसार रूस और यूक्रेन दुनिया के एक चौथाई गेहूं की आपूर्ति करते हैं।
रूस में इस साल शानदार हुई है गेहूं की फसल

पश्चिमी देशों को लगता है कि रूस में इस साल शानदार हुई गेहूं की फसल को पुतिन नियंत्रित कर सकते हैं। वह यूक्रेन के खाद्यान्न पर कब्जा कर सकते हैं। दूसरी ओर खराब मौसम की वजह से यूरोप और अमरीका में गेहूं की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। गो इंटेलिजेंस की मुख्य कार्यकारी अधिकारी सारा मेनकर ने चेतावनी दी कि दुनिया खाद्यान्न को लेकर असाधारण चुनौतियों से जूझ रही है। इसके लिए फर्टिलाइजर की कमी, जलवायु परिवर्तन और खाद्यान्न तेल तथा अनाज का कम भंडार भी बड़ा कारण है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कहा कि बिना वैश्विक प्रयास के हम मानवीय त्रासदी को रोक नहीं पाएंगे। ऐसा संकट भू-राजनीतिक दौर को नाटकीय तरीके से बदल सकता है।

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