ये वास्तव में छोटे ट्रांजिस्टर्स माने जा सकते हैं। इन्हें सिलिकॉन पर विभिन्न मैटल्स की मदद से बनाया जा सकता है। इनके माध्यम से किसी भी डिवाईसेज को मनचाहे कमांड देकर उसके स्वचालित कार्य करवाया जा सकता है। इनका उपयोग टीवी का रिमोट बनाने से लेकर कार के डैश बोर्ड बनाने तक में होता है। इनका सर्वाधिक उपयोग स्मार्टफोन, होम एप्लायसेंज, इलेक्ट्रॉनिक डिवाईसेज, गैजेट्स और ऑटोमैटिक उपकरण बनाने के लिए किया जाता है।
इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में काम आने वाली इन सेमीकंडक्टर चिप्स को बनाने के लिए कच्चा माल जापान और मैक्सिको से आता है। इसके बाद इस कच्चे माल से अमरीका और चीन सहित विभिन्न देशों में इन चिप्स को तैयार किया जाता है। परन्तु कोरोना महामारी के चलते पिछले काफी समय से प्रोडक्शन धीमा हो चुका है जिसके चलते वैश्विक स्तर पर चिप शॉर्टेज की समस्या आ रही है। वर्क फ्रॉम होम के कारण स्मार्टफोन, लैपटॉप, मॉडम सहित अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाईसेज की डिमांड काफी ज्यादा बढ़ गई है।
स्मार्टफोन बनाने वाले दुनिया की टॉप दो कंपनियां एप्पल तथा सैमसंग ने कहा है कि चिप की कमी के चलते उनके स्मार्टफोन की डिमांड पूरी नहीं हो पा रही है। इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स और डिवाईसेज बनानी वाली सैमसंग सहित अन्य बहुत सी कंपनियों ने कहा है कि सेमीकंडक्टर चिप्स की कमी के चलते उनके अप्लायंस प्रोडक्शन पर नेगेटिव इफेक्ट हुआ है। एक्सपर्ट्स के अनुसार यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही तो जल्दी ही इलेक्ट्रॉनिक डिवाईसेज के साथ-साथ कंज्यूमर गुड्स की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है।
आज के बढ़ते ऑटोमेटाइजेशन के युग में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पूरी तरह से इन सेमीकंडक्टर चिप्स पर निर्भर हो गई है। चिप्स की कमी के चलते कार कंपनियों का उत्पादन ठप हो चुका है। पिछले कुछ महीनों में न केवल महिन्द्रा, टाटा जैसी स्वदेशी कार निर्माता कंपनियों वरन फोर्ड, वॉक्सवैगन, ऑडी, निसान और रेनॉ जैसी कंपनियों पर भी इसका बड़ा असर हुआ है और प्रोडक्शन में कमी आई है।