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Share Market Closing: उतार-चढ़ाव के बीच बाजार लाल निशान पर, सेंसेक्स 55 अंक गिरा, निफ्टी 24,150 के नीचे समाप्‍त

Share Market Closing: आज 8 नवंबर शुक्रवार के दिन शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिला। सेंसेक्स 55.47 अंक (0.06%) की मामूली गिरावट के साथ 79,486.32 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 51.15 अंक (0.21%) टूटकर 24,148.20 पर समाप्‍त हुआ। आइए जानते हैं कि हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन बाजार का रुख कैसा रहा।

मुंबईNov 08, 2024 / 06:09 pm

Ratan Gaurav

Share Market Closing

Share Market Closing:आज 8 नवंबर शुक्रवार के दिन भारतीय शेयर बाजार के प्रमुख बेंचमार्क सूचकांक में लगातार दूसरे सत्र में गिरावट (Share Market Closing) के साथ बंद हुआ है। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की ओर से जारी बिकवाली का दबाव भारतीय बाजार पर साफ दिखाई दिया हैं। सेंसेक्स 55.47 अंक यानी 0.07% की गिरावट के साथ 79,486.32 अंक पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 51.15 अंक यानी 0.21% की गिरावट के साथ 24,148.20 अंक पर आ गया।

किन सेक्टर्स में रही सबसे ज्यादा गिरावट? (Share Market Closing)

एनएसई के आंकड़ों के अनुसार, विभिन्न सेक्टोरल इंडेक्स में पीएसयू बैंक, मीडिया, रियल एस्टेट और ऑयल एंड गैस क्षेत्र के शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिली हैं। वैश्विक बाजारों (Share Market Closing) से प्रभावित होकर इन सेक्टरों में बिकवाली का माहौल बना रहा, जिससे प्रमुख कंपनियों के शेयर दबाव में आ गए हैं। खासकर, सरकारी बैंकों के शेयरों में गिरावट का दौर जारी है, जिससे निवेशकों की धारणा कमजोर हुई है। इसके साथ ही, मीडिया और ऑयल एंड गैस सेक्टर भी बिकवाली की मार झेल रहे हैं।
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विदेशी निवेशकों की बिकवाली बनी चिंता का विषय

भारतीय बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की निरंतर बिकवाली चिंता का विषय बनी हुई है। अक्टूबर में एफपीआई (FPI) ने लगभग 94,017 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की, जिससे बाजार (Share Market Closing) पर अतिरिक्त दबाव आ गया। पिछले चार महीनों तक बाजार में खरीदारी करने वाले एफपीआई अब भारत में शुद्ध विक्रेता बन चुके हैं, जिससे घरेलू निवेशकों की भावनाओं पर नकारात्मक असर पड़ा है।
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बाजार में अस्थिरता का दौर

भारतीय शेयर बाजार पर इस समय कई अंतरराष्ट्रीय और घरेलू कारकों का दबाव बना हुआ है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की संभावित ब्याज दरों में वृद्धि, यूरोप और चीन में धीमी आर्थिक गतिविधियां, और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों जैसे कारक भारतीय बाजार को प्रभावित कर रहे हैं। अंतरास्ट्रीय बाजारों में मंदी की आशंका के चलते भारतीय निवेशकों की भावनाओं पर भी असर पड़ा है।

बाजार में सुधार की उम्मीदें

भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत बुनियादी कारक भविष्य में बाजार को स्थिरता प्रदान कर सकते हैं। सरकार की ओर से निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कई सुधार कदम उठाए जा रहे हैं, जिनसे घरेलू निवेशकों की भागीदारी बढ़ सकती है। इसके अलावा, अगर एफपीआई फिर से खरीदारी में लौटते हैं, तो बाजार में सकारात्मकता लौटने की उम्मीद की जा सकती है।

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