जिस तरह शेयर बाजार में कंपनियों के स्टॉक्स की खरीदारी करने के बाद निवेशक के डीमैट अकाउंट में शेयर आने में दो दिन लगते हैं, उसी तरह सोने को खरीदार तक पहुंचने में एक से दो दिन का समय लगेगा। निवेशक चाहें तो फिजिकल डिलीवरी नहीं लेने का फैसला कर सकते हैं और भाव में तेजी आने पर मुनाफा कमाने के लिए इसे वहीं बेच भी सकते हैं।
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टैक्स भी देना होगासोने की फिजिकल डिलीवरी नहीं लेने पर इसे एक इलेक्ट्रॉनिक वॉल्ट में रखा जाएगा, जिसका खर्च निवेशक उठाएंगे। सोने को सिक्योरिटी की तरह रखने पर सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स लगेगा, जैसा कि शेयर की ट्रे़डिंग पर लगता है। वहीं, इसे फिजिकल गोल्ड में बदलने पर जीएसटी लगेगा।
गोल्ड एक्सचेंज पर सोने की ट्रेडिंग एक किलो, सौ ग्राम और 50 ग्राम के ट्रेडिंग स्लॉट में होगी। वहीं, पांच ग्राम और दस ग्राम का भी ईजीआर होगा परन्तु डिलीवरी न्यूनतम 50 ग्राम सोने की होगी।
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आम जनता को मिलेंगे ये फायदेस्पॉट गोल्ड एक्सचेंज में हर समय सोने की खरीद-बिक्री हो सकेगी। इससे लोगों को सोने के सही दाम का पता चल सकेगा। भारत में अभी सोने के दाम हर शहर में अलग-अलग होते हैं। साथ ही इनकी कीमत ज्वैलर्स तय करते हैं लेकिन एक्सचेंज शुरू होने से मांग के आधार पर सोने की कीमतें तय होंगी। गोल्ड एक्सचेंज में ट्रेड से सोने का जो मूल्य पता चलेगा उसे इंडिया गोल्ड प्राइस कहा जाएगा।