कारोबार

पहली बार एक डॉलर के मुकाबले 78 पर पहुंचा रुपया, शेयर मार्केट में भी बड़ी गिरावट

Rupee and stock market:अमरीकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। वहीं शेयर मार्केट में भी बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है। दोपहर 12:15 बजे तक BSE में 2.61% व NSE में 2.50 % की गिरावट देखने को मिल रही है।
 

Jun 13, 2022 / 12:18 pm

Abhishek Kumar Tripathi

Rupee and stock market: सोमवार यानी आज शुरुआती कारोबार से ही रुपया व शेयर मार्केट में गिरावट देखने को मिल रही है। अमरीकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर 78.29 पर पहुंच गया है। इसका असर शेयर मार्केट में भी देखने को मिल रहा है। वर्तमान में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) 2.61% गिरावट के साथ 52,889 में देखने को मिल रहा है। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में 2.50 % की गिरावट के साथ 15,796 पर देखने को मिल रहा है।
जानकार भारतीय रुपया व शेयर मार्केट में इस गिरावट के पीछे अमरीका में बढ़ती महंगाई दर और विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली को बता रहे हैं। इसके साथ ही रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को भी इसकी बजह मान रहे हैं। आपको बता दें कि पिछले कारोबार के दिन (शुक्रवार) को रुपया 77.83 पर बंद हुआ था। वहीं 23 फरवरी 2022 को रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने से पहले रुपया डॉलर के मुकाबले 74.62 रुपए पर था।

अमरीकी शेयर मार्केट में गिरावट बनी वजह?

दरअसल भारतीय शेयर मार्केट अधिकतर अमरीकी शेयर मार्केट को फॉलो करता है। अगर अमरीकी शेयर मार्केट में गिरावट देखने को मिलती है तो उसके अगले दिन भारतीय शेयर मार्केट में भी गिरावट देखने को मिलती है। पिछले ट्रेडिंग डे (शुक्रवार) को अमरीका में महंगाई को लेकर रिपोर्ट जारी हुई थी, जिसके बाद अमरीकी शेयर मार्केट में बड़ी गिरावट देखने को मिली थी। शेयर मार्केट जानकारों के मुताबिक आज भारतीय शेयर मार्केट में बड़ी गिरावट की वजह अमरीकी शेयर मार्केट भी हो सकता है।

विदेशी निवेशक लगातार कर रहे हैं बिकवाली
भारतीय शेयर मार्केट में लगातार विदेशी निवेशक बिकवाली कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जून महीने में अब तक विदेशी निवेशकों ने 14 हजार करोड़ की बिकवाली की है। इसके बाद लगातार 8वें महीने में विदेशी निवेशकों ने बिकवाली की है।
 

आम आदमी पर क्या पड़ेगा असर

रुपए में गिरावट के बाद उतना ही समान विदेशों से आयात करने पर ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते हैं, जिसके कारण आयात किया हुआ समान और महंगा हो जाता है। इससे देश में महंगाई बढ़ती है। वहीं अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत डॉलर में तय होती है, जिसके कारण देश में तेल की कीमतों पर भी इसका असर पड़ता है।

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