आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास ने मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक के बाद बढ़ती महंगाई पर चिंता जताते हुए कहा कि महंगाई लगातार बढ़ रही है। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते सप्लाई चेन में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वैश्विक कोविड महामारी के बाद अर्थव्यवस्था को बूस्ट देने के लिए आरबीआई को यह कदम उठाना पड़ा।
महंगाई पर लगाम के लिए उठाना पड़ा सख्त कदम-
गर्वनर ने आगे कहा कि वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में धीमापन देखने को मिला है। जिसका असर भारतीय बाजारों पर देखा जा रहा है। देश में महंगाई का दबाव बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि महंगाई पर लगाम लगाने के लिए आरबीआई को सख्त कदम उठाना पड़ा है। बताते चले कि इससे पहले आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में छह सदस्यी मैद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक हुई। बैठक के बाद गर्वनर ने कहा कि सभी सदस्यों ने रेपो रेट को बढ़ाए जाने पर सहमित दी।
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पिछले महीने रेपो रेट में 40 बेसिस प्वाइंट की हुई थी बढ़ोतरी-
बताते चले कि आरबीआई ने पिछले महीने चार मई को रेपो रेट में 40 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की थी। इसका मतलब यह हुआ कि दो महीने में रेपो रेट में 90 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की गई। रेपो रेट बढ़ने का असर लोन भरने वाले लोगों पर पड़ेगा। आरबीआई के इस फैसले के बाद होम लोन, कार लोन, एजुकेशन लोन का महंगा होना तय माना जा रहा है। जिन लोगों ने पहले से लोन ले रखा है, उनकी ईएमआई बढ़ जाएगी।
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क्या होता है रेपो रेट, बढ़ने से लोगों पर क्या पड़ेगा असर-
रेपो रेट का मतलब है रिजर्व बैंक द्वारा अन्य बैकों को दिए जाने वाले कर्ज की दर। मतलब वो ब्याज दर जिसपर रिजर्व बैंक देश के अन्य बैंकों को ब्याज देता है। रेपो रेट कम होने का मतलब है कि बैंक अपने ग्राहकों को कम ब्याज दर पर होम लोन, व्हीकल लोन सहित अन्य लोने देंगे। बीते दिनों रेपो रेप बढ़ाया गया है। इस कारण बैंक भी अपना ब्याज दर बढ़ा रही है।