इससे आटे की कीमतों में भी बढ़ी तेजी आई है। दो सालों के दौरान गेहूं का खुदरा मूल्य 9.47% बढ़कर 29.02 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 31.77 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है।
इस साल मई में 10.6 करोड़ टन के कम उत्पादन के बीच गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी, जब 6 महीनों (अप्रैल-सितंबर के बीच) में वास्तविक शिपमेंट पिछले साल की तुलना में दोगुना हो गया था। इसके बाद भी आ गेहूं के दाम बढ़ते रहे।
साल 2022 के लिए रबी फसल की बुवाई के आंकड़ों पर नजर डालें तो साफ है कि भारतीय किसानों ने मसूर और दालों की तुलना में गेहूं-चावल की बुवाई अधिक की है। अनियमित मॉनसून के बावजूद रबी की कुल बुवाई पिछले साल से 7 प्रतिशत अधिक है। इसमें भी गेहूं बुआई में करीब 15 फीसदी की बढ़ोतरी है। इससे सरकार को कुछ राहत मिल सकती है, क्योंकि कोविड काल के दौरान भारत के बफर स्टॉक में पिछले साल के मुकाबले 49.9 फीसदी की गिरावट आई है।