इस प्रस्ताव को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द ही WhatsApp कॉलिंग और अन्य ऐप्स के लिए लोगों को शुल्क देना होगा।
हालांकि, इसकी जानकारी नहीं उपलब्ध कराई गई है कि ये लाइसेन्स कब मिलेगा और और किन ऑपरेशंस के लिए इसकी जरूरत होगी और कितना खर्च करना पड़ेगा। यदि कोई कंपनी अपने लाइसेन्स का सरेंडर करती है तो उसे रिफ़ंड मिल जाता है। गौर करें तो हम डाटा कोस्ट के रूप में कॉल के लिए शुल्क देते ही हैं, लेकिन लाइसेन्स के बाद क्या स्थिति होगी इसकी कोई जानकारी नहीं है।
इस ड्राफ्ट के अनुसार, “टेलीकम्युनिकेशन सर्विस और टेलीकम्युनिकेशन नेटवर्क के प्रावधानों के तहत एक एन्टिटी को लाइसेन्स लेना होगा।” हालांकि, सरकार ने इस ड्राफ्ट के लिए 20 अक्टूबर तक इंडस्ट्री और आम लोगों से राय भी मांगी है।
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इस बिल से टेलीकॉम इंडस्ट्री के पुनर्गठन और नई तकनीक को अपनाने का रोडमैप तैयार किया जाएगा। साइबर सिक्योरिटी, राष्ट्रीय सुरक्षा और अन्य खतरों से निपटने के लिए तैयारी की जाएगी। इससे आने वाले समय में कानूनी ढांचा भी मजबूत होगा।