बिस्कुट मैन्यूफै क्चरर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अनुसार, देश में पिछले साल 36 लाख टन बिस्कुट की खपत हुई। इसमें हर साल आठ से दस प्रतिशत की वृद्धि हो रही है। एक अनुमान के अनुसार देश में सालाना बिक्री 37,500 करोड़ रुपए के बिस्कुट की हो रही है।
—दाल-रोटी की जगह खा रहे बिस्कुट एसोसिएशन के अध्यक्ष हरेश दोषी ने कहा कि लोग अब केवल स्वाद के लिए नहीं बल्कि नाश्ते, स्वास्थ्य कारणों और दाल रोटी के स्थान पर भी बिस्कुट खा रहे हैं जिससे इनकी मांग लगातार बढ़ रही है। आजादी के पहले केवल ग्लूकोज बिस्कुट थे, लेकिन अब बाजार में कई किस्म के बिस्कुट उपलब्ध हैं।
—जीएसटी दायरे में आया तो निम्न वर्ग से दूर उनका कहना है सरकार ने यदि 100 रुपए की कीमत वाले बिस्कुट को जीएसटी के दायरे में शामिल किया तो सरकार को मिलने वाले कर राजस्व में बढ़ोतरी नहीं होगी, लेकिन यह निम्न वर्ग की पहुंच से दूर हो जाएगा।
—उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड दूसरे स्थान पर बिस्कुट खाने में दूसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड हैं, जहां सालाना लगभग एक लाख 85 हजार टन बिस्कुट की खपत होती है। तमिलनाडु 1,11,000, पश्चिम बंगाल 1,02,000, कर्नाटक 93 हजार, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ 80 हजार, बिहार, झारखंड और राजस्थान में 62,500, गुजरात 72 हजार और आंध्र प्रदेश के लोग 52,500 टन बिस्कुट खाते हैं।