भारत का सबसे बड़ा बिजली उपभोक्ता
भारतीय रेलवे नेटवर्क (Indian railway network) को दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्कों में से एक कहा जाता है। राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर प्रतिदिन लगभग 2.3 करोड़ यात्रियों को गंतव्य स्थान तक पहुंचाता है और वार्षिक 1,160 मीट्रिक टन माल ढुलाई करता है। इस कारण काफी ऊर्जा की जरूरत होती है।
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भारत का सबसे बड़ा बिजली उपभोक्ता रेलवे बन चुका है। वहीं वह तीसरा सबसे बड़ा डीजल उपभोक्ता बन चुका है। वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान, राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर ने 2,749 बिलियन लीटर डीजल, 17,682 टेरावाट घंटे बिजली और एक हजार टन कोयले का उपयोग किया। ये भारत के कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का चार प्रतिशत है।
बिजली के लिए कोयले पर निर्भरता है
रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी मौजूदा डीजल ट्रैक्शन को इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन में बदलने से शुरू में CO2 उत्सर्जन में 32 प्रतिशत की वृद्धि होगी, क्योंकि देश में बिजली पैदा करने के लिए कोयले पर निर्भरता है। राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर को या तो सीधे रेलवे नेटवर्क से जुड़े पवन और सौर जनरेटर से अपनी स्वच्छ बिजली की आपूर्ति की खरीद करने की जरूरत होगी।
भारतीय रेलवे की लगभग 51,000 हेक्टेयर अनुत्पादक भूमि को सौर विकास के काम में लगाया जा रहा है। राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर और रेल मंत्रालय ने रेलवे ऊर्जा प्रबंधन कंपनी का गठन किया है, जो भारतीय रेलवे की ऊर्जा आवश्यकताओं की आपूर्ति के लिए सौर के साथ-साथ पवन ऊर्जा परियोजनाओं के विकास में काम आता है।
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भारत का रेलवे नेटवर्क अक्षय ऊर्जा के लिए अपनी योजना का विस्तार कर रहा है, जिसमें इस साल 3 गीगावाट सौर परियोजनाओं के टेंडर के साथ-साथ 103 मेगावाट पवन ऊर्जा को चालू करना शामिल है। रिपोर्ट के अनुसार,स्वीकृत विद्युतीकरण से निर्माण अवधि के दौरान 20.4 करोड़ प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होगा।
71 प्रतिशत पारंपरिक ट्रैक विद्युतीकृत
मार्च 2021 तक भारत के लगभग 71 प्रतिशत पारंपरिक (ब्रॉड गेज) ट्रैक विद्युतीकृत हैं। इससे भारतीय रेलवे रूस और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा विद्युतीकृत रेल नेटवर्क बन गया है। इसके अलावा, राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर ने 12 माह में छह हजार से अधिक आरकेएम के साथ वार्षिक रेलवे विद्युतीकरण का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। यह 2023 के अंत तक पूरी तरह से विद्युतीकरण के लिए तैयार है।