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Startup India: स्टार्टअप की दुनिया का सिकंदर बनने की ओर भारत, यूनिकॉर्न स्टार्टअप का शतक पूरा

इस सप्ताह भारत ने यूनिकॉर्न स्टार्टअप की दुनिया में एक नया मुकाम हासिल किया है। भारत में इन यूनिकॉर्न स्टार्टअप की संख्या बढ़कर अब पूरी 100 हो गई है। केंद्र की मोदी सरकार भी भारत में स्टार्टअप की इस सफलता से उत्साहित दिख रही है। गौर करने की बात ये है कि भारत के इन सौ यूनिकॉर्न स्टार्टअप में 58 तो पिछले दो सालों में यूनिकॉर्न बने हैं और इन 58 यूनिकॉर्न में से तीन यूनिकॉर्न स्टार्टअप राजस्थान के भी हैं। जानकारों का कहना है कि भारत के इन यूनिकॉर्न स्टार्टअप की यात्रा अब थमने वाली नहीं है।
 
 

May 10, 2022 / 09:21 am

Swatantra Jain

भारत ने यूनिकॉर्न स्टार्टअप की दुनिया में एक नया मुकाम हासिल किया है। भारत में अब यूनिकॉर्न स्टार्टअप की संख्या बढ़कर पूरी 100 हो गई है। भारत की इस सफलता पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने हर्ष व्यक्त किया है।

यूनिकॉर्न स्टार्टअप के मामले में भारत ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एक ट्वीट के जरिये इस उपलब्धि को बताया। इस सफलता से भारत के उद्योग मंत्री पीयूष गोयल भी प्रफुल्लित हैं। दरअसल, हाल ही में बैंगलुरु स्थित नियोबैंक प्लेटफार्म ‘ओपेन’ को यूनिकार्न का दर्जा मिला है। इसके बाद अब भारत में यूनिकॉर्न स्टार्टअप की संख्या 100 हो चुकी है। यानी भारत ने यूनिकॉर्न स्टार्टअप की दुनिया में सैकड़ा पूरा कर लिया है। कोई आश्चर्य नहीं की सरकार भी इस सफलता पर गदगद है और खुद उद्योग मंत्री इस सफलता पर हर्ष जाहिर करते हुए ट्वीट किया है।
https://twitter.com/PiyushGoyal/status/1521026626749874177?ref_src=twsrc%5Etfw
हर 10 में से एक यूनिकॉर्न पैदा हो रहा भारत में

बता दें, स्टार्टअप की दुनिया में जो स्टार्टअप 1 बिलियन डॉलर से अधिक का मूल्यांकन हासिल कर लेता है, उसे यूनिकॉर्न का दर्जा मिलता है। भारत में 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं जिनका कुल मूल्‍यांकन 332.7 अरब डॉलर है। इस वैल्यूशन के बाद भारतीय स्‍टार्टअप परिवेश यूनिकॉर्न की संख्‍या के लिहाज से दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा है। एक अनुमान के अनुसार आज वैश्विक स्तर पर हर 10 में से 1 यूनिकॉर्न का उदय भारत में हो रहा है।
यूनिकॉर्न बनना अच्छा है, पर उसमें निवेश भी भारतीयों को हो तब बने बात

एसोचैम राजस्थान के अध्यक्ष और राजस्थान की स्टार्ट दुनिया के एक जाने-माने हस्ताक्षर अजय डाटा का कहना है कि भारत में यूनिकॉर्न स्टार्टअप बनना एक लिहाज से अच्छा हो सकता है लेकिन भारत को यूनिकॉर्न के साथ में उसके इंपैक्ट और और इनोवेशन पर ध्यान देना चाहिए , जिससे भारत वास्तव में आत्मनिर्भर बन सके । डाटा ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज के एमडी अजय डाटा ने कहा कि यूनिकॉर्न बनाने के लिए जो पैसा कंपनीज में इन्वेस्ट करना है वह भारत के इन्वेस्टर से लगे वह भी एक महत्वपूर्ण बात ध्यान में रखा जाना चाहिए। भारत का स्टार्टअप यूनिकॉर्न तो बना लेकिन उसकी ओनरशिप पूरी अगर विदेश में चली गई तो उसका मतलब ही अलग हो जाता है। 1.3 बिलियन में करीब 65000 स्टार्टअप्स हैं भारत में जो कि करीब 20000 लोगों में एक स्टार्टअप हुआ। हमारे को ही टारगेट करना चाहिए कि हम 2000 में एक स्टार्टअप हो और हम ज्यादा से ज्यादा इंपैक्टफुल स्टार्टअप्स बना पाए।
बता दें अजय डाटा का खुद का स्टार्टअप Videomeet भी जूम जैसे वीडियो मीटिंग स्टार्ट अप के लिए चुनौती बन रहा है और हाल में अजय हिंदी में ईमेल डोमेन नाम बनाने के लिए चर्चा में बने हुए हैं।
पिछले चार महीनों में भारत में बने हैं 14 यूनिकॉर्न

स्टार्टअप के जानकारों के अनुसार, भारत की स्टार्टअप यात्रा को देखते हुए अभी तक भारत में यूनिकॉर्न स्टार्टअप बनने के लिए न्यूनतम समय 6 महीने और अधिकतम समय 26 वर्ष रहा है। वित्त वर्ष 2016-17 तक भारत में हर साल लगभग एक यूनिकॉर्न तैयार होता था। पिछले चार वर्षों में (वित्त वर्ष 2017-18 के बाद से) यह संख्या तेजी से बढ़ रही है और हर साल अतिरिक्त यूनिकॉर्न की संख्या में सालाना आधार पर 66 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
सिर्फ वर्ष 2021 के दौरान भारत में यूनिकॉर्न की संख्या में भारी उछाल दर्ज किया गया था। इस दौरान कुल 44 स्टार्टअप यूनिकॉर्न 93 अरब डॉलर के कुल मूल्यांकन के साथ यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हुए। वर्ष 2022 के पहले चार महीनों के दौरान ही भारत में 18.9 अरब डॉलर के कुल मूल्यांकन के साथ 14 यूनिकॉर्न तैयार हो चुके हैं।

पीएम मोदी ने जनवरी 2016 में की थी स्टार्टअप इंडिया की शुरुआत

भारत के स्टार्टअप इंडिया अभियान का शुभारंभ यानी 16 जनवरी 2016 के बाद से 2 मई 2022 तक देश में 69,000 से ज्यादा स्टार्टअप को मान्यता दी गई है। खास बात ये है कि भारत में इनोवेशन सिर्फ कुछ सेक्टर तक ही सीमित नहीं है। अभी तक भारत में जो स्टार्टअप आए हैं उनमें, आईटी सेक्टर में 13 प्रतिशत, स्वास्थ्य सेवा और जीवन विज्ञान से 9 प्रतिशत, शिक्षा 7 प्रतिशत, पेशेवर एवं वाणिज्यिक सेवाओं से 5 प्रतिशत, कृषि 5 प्रतिशत और खाद्य एवं पेय पदार्थों से 5 प्रतिशत के साथ 56 विविध क्षेत्रों में समस्याओं को हल करने वाले स्टार्टअप को मान्यता दी गई है।
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15 प्रतिशत तक स्टार्टअप उद्यमी राजस्थान से

वहीं एसोचैम की स्टार्टअप काउंसिल के चेयरमैन और कई बार टेडएक्स स्पीकर रह चुके परेश गुप्ता (Paresh Gupta) का कहना है कि राजस्थान कई स्टार्टअप संस्थापकों की मातृभूमि रहा है। कम से कम स्टार्टअप संस्थापकों की पारिवारिक जड़ें राजस्थान (Startup in Rajasthan) से ही रही हैं। फ्लिपकार्ट से ओला से ओयो तक, सभी कहीं न कहीं राजस्थान से ही संबंध रखते हैं। ट्विटर के सीईओ बनाए गए पराग अग्रवाल के राजस्थानी मूल के बारे में तो सभी जानते हैं। परेश का कहना है कि काफी स्टार्टअप संस्थापकों की जड़ें राजस्थान में हैं…ये आँकड़ा 15 से 20 प्रतिशत (Rajasthani Startup) तक पहुंच सकता है, अगर पड़ताल की जाए। परेश का कहना है कि यूनिकॉर्न संस्थापकों (Unicorn Founders in Rajasthan) की सूची पर भी एक नज़र डालने से पता चलता है कि उनमें से कई राजस्थान में मूल के मारवाड़ी अग्रवाल हैं। इतना ही नहीं कई यूनिकॉर्न भी हैं जो राजस्थान में शुरू हुए लेकिन अंततः बेहतर अवसरों के लिए बाहर चले गए, जैसे रेजरपे (Razorpay), ग्रो (Grow), डीलशेयर (Dealshare), अनएकेडमी (Unacademy) और अन्य ।
परेश का कहना है कि केवल कारदेखो (CarDekho) ने जयपुर में मुख्यालय बने रहने का फैसला किया है और हाल ही में इसे भी अब यूनिकॉर्न क्लब में जोड़ा गया है। परेश ने कहा कि राजस्थानी लोग अपनी उद्यमी मानसिकता के लिए गर्व करते हैं और हर राजस्थानी यहां के स्टार्ट उद्यमियों से भी जुड़ने में, उनको बढ़ावा देने में गर्व महसूस करता है। राजस्थान सरकार के युवा ब्रांड एंबेस्डर और राजस्थान में एक उद्यमिता कॉलेज (Global Centre for Entrepreneurship and Commerce) स्थापित करने वाले परेश का कहना है कि राज्य के स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को और अधिक अनुकूल बनने की जरूरत है, तभी राजस्थान में उचित संख्या स्टार्टअप उद्यमी पैदा हो सकेंगे , जो राजस्थान डिजर्व करता है।

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