फ्यूचर रिटेल ने 26 फरवरी को कहा कि जो घाटे हो रहे हैं उसे कम करने के लिए वो ऑपरेशन कम कर रहा है।” हालांकि, फ्यूचर रिटेल ने अपने बयान में रिलायंस का कोई उल्लेख नहीं किया। फ्यूचर ग्रुप पर कुल मिलाकर 4 अरब डॉलर से ज्यादा का कर्ज है। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार रिलायंस की योजना फ्यूचर के कर्मचारियों को स्टोर से निकालने की नहीं है।
दोनों के बीच विवाद कैसे बढ़ा?
दरअसल, वर्ष 2019 में अमेजन ने फ्यूचर ग्रुप के साथ एक डील की थी। इसके बाद Amazon ने फ्यूचर ग्रुप के गिफ्ट वाउचर की यूनिट में भारी निवेश किया था। इसके बाद फ्यूचर ग्रुप ने रिलायंस के साथ भी करार कर लिया जिसपर Amazon ने आपत्ति जताई। रिलायंस और फ्यूचर के बीच 24 हजार करोड़ से ज्यादा की डील तय हुई तो Amazon ने फ्यूचर ग्रुप पर डील से जुड़े गए नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। इसके बाद कानूनी लड़ाई शुरू हो गई जो आज भी चल रही है।
फ्यूचर ग्रुप ने Amazon पर आरोप लगाए कि उसने डील के समय उसे पूरी जानकारी नहीं दी थी । इसके साथ ही ये भी कहा कि वो कहीं से भी गलत नहीं है और न ही किसी नियम का उल्लंघन कर रहा। Amazon अवैध रूप से फ्यूचर के खुदरा कारोबार पर नियंत्रण करने के प्रयास कर रहा है। यही नहीं फ्यूचर ग्रुप ने CCI के पास शिकायत भी वर्ष 2021 में दर्ज करा दी। इसके बाद CCI ने Amazon पर 2 हजार करोड़ का जुर्माना लगा दिया।
Amazon ने डील पर रोक लगाने के किए प्रयास
इसके बाद अमेज़न ने सिंगापुर के मध्यस्थों से संपर्क किया और रिलायंस-फ्यूचर ग्रुप की डील पर सफलतापूर्वक रोक लगा दी। ये मामला भारत में भी दिल्ली हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गया। इस बीच रिलायंस ने कानूनी तौर पर फ्यूचर ग्रुप के रिटेल स्टोर पर कब्जा शुरू कर दिया इससे Amazon के लिए कुछ बचा नहीं और उसने अचानक सुप्रीम कोर्ट में बातचीत कर मुद्दा सुलझाने की बात कही।कुछ मामलों में Amazon के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय सुनाया, परंतु Amazon की बात नहीं बन रही थी।
वास्तव में Amazon चाहता है कि वो 1.3 अरब उपभोक्ताओं के साथ 900 अरब डॉलर के खुदरा बाजार में रिलायंस की तुलना में बड़ी ताकत बने जो अब होता दिखाई नहीं दे रह है।
बता दें कि रिलायंस के पास 1,100 सुपरमार्केट हैं, जबकि फ्यूचर के पास लगभग 1,500 हैं। दोनों ई-कॉमर्स के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन फ्यूचर ग्रुप के साथ डील रिलायंस को खुदरा बाजार में और ऊपर ले जाएगा और व्यापार में विदेशी निवेशकों को आकर्षित करेगा।
वहीं, Amazon अरबपति मुकेश अंबानी की साख का मार्केट में मुकाबला करने के लिए फ्यूचर ग्रुप के डील का इस्तेमाल काम्पिटिशन में करता। हालांकि, Amazon की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। वास्तव में रिलायंस ने कैश-स्ट्रैप्ड फ्यूचर के कई पट्टों को अपने कब्जे में ले लिया था। अब लीज भुगतान का हवाला देते हुए बाकी पर भी कब्जा जमा लिया है।