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GST को लागू हुए चार साल पूरे, जानिए सबसे बड़े टैक्स रिफॉर्म की रोचक बातें

2017 में भारत में जटिल टैक्स प्रणाली को दूर करने के लिए पूरे देश में टैक्स की एक दर लागू की गई। जीएसटी को लेकर अभी भी कई उलझने हैं मगर सरकार की नजर में ये मील का पत्थर साबित हो रही है।

Jul 01, 2021 / 06:13 pm

Mohit Saxena

gst

नई दिल्ली। GST यानी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स आजाद भारत के इतिहास में सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म है। 30 जून 2017 की आधी रात को इसे संसद के सेंट्रल हाल में पूरे जोश के साथ अलगे दिन यानी एक जुलाई से लागू कर दिया गया था। इसे लागू हुए अब पूरे चार साल बीत गए हैं।

वन नेशन वन टैक्स

जीएसटी को लेकर खास मसकद था कि देश में दशको से चली आ रहे जटिल टैक्स प्रणाली को दूर कर पूरे देश में टैक्स की एक दर लागू की जाए। टैक्स चोरी को रोकते हुए व्यापारियों और कारोबारियों को एक ऐसी व्यवस्था दी जाए ताकि उनकों कारोबार करने में आसानी हो सके। GST से पहले केंद्र सेंट्रल एक्साइज, सर्विस टैक्स लेता था और राज्य वैट वसूलते थे। मगर जीएसटी आने से पूरे देश में कथितरूप से ‘वन नेशन वन टैक्स’ की प्रणाली लागू हो गई।

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जीएसटी काउंसिल का गठन

इसके लागू होने के बाद सरकार ने कई बार टैक्स दरों में बदलाव किए, कई सर्विसेज को शामिल किया तो कई को अब भी बाहर रखा। जीएसटी की दरों को तय करने के लिए सरकार ने अलग से एक जीएसटी काउंसिल का गठन किया। ये काउंसिल GST से जुड़ी सभी समस्याओं और जरूरतों को पूरा करती है। इस समय GST के लिए चार वर्ग तय किए गए हैं।

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जीएसटी के अंदर छूट

छोटे उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 40 लाख रुपये के सालाना टर्नओवर वाले बिजनेस को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा। इसके साथ वैसे बिजनेस जिनका वार्षिक टर्न ओवर 1.5 करोड़ था, उन्हें कंपोजिशन स्कीम के तहत मात्र 1 फीसदी टैक्स जमा करने की रियायत दी गई। वहीं ऐसे बिजनेस जिनका टर्नओवर 50 लाख तक था उन्हें 6 फीसदी टैक्स अदा करने की छूट दी गई।

पिछली सरकार ने कई मौकों पर जिक्र किया

गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स को लेकर पिछली सरकार ने चर्चाएं की थीं। इसकी आधिकारिक रूप से 2006 में पहली बार चर्चा शुरू हुई थी। 28 फरवरी 2006 को तब वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने अपने बजट भाषण में देश में जीएसटी लागू करने का सुझाव दिया था।

इसके बाद 2007 के बजट भाषण में भी जीएसटी का जिक्र हुआ था। उस समय इम्पावर्ड समिति ने इस बात की अनुमति दी थी कि 1 अप्रैल 2010 से जीएसटी को लागू करा जाए। मगर राज्यों और केंद्र के बीच आम सहमति नहीं बन सकी, जिसके कारण ये लागू नहीं हो सका।

स्लैब्स को लेकर हुआ विवाद

इसके बाद 2014 मोदी सरकार आने के बाद इसे तीन साल के अंदर पूरे देश में लागू कर दिया गया। पहले यह तय हुआ था कि जीएसटी की परिकल्पना एक सिंगल टैैक्स के रूप में की जाएगी। मगर लागू होते वक्त इसमें 4 से 5 स्लैब्स थे। इसके लेकर काफी विवाद भी हुआ। सबसे कम स्लैब यानि पांच प्रतिशत खाने पीने और जरूर चीजों पर रखे गए। वहीं 18 प्रतिशत वाले स्लैब मे लग्जरी सामानों पर रखा गया।

कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा

जीएसटी लागू होने पर शुरूआत में काफी समय तक कारोबारियों को जीएसटी रिटर्न भरने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा। उनके इनपुट क्रेडिट मिलने में परेशानी देखने को मिली। कुछ समय तक सरकार ने इन समस्याओं को खत्म करने की कोशिश की। अब जाकर इसकी कुछ जटिलताएं कम हुई हैं। अभी भी इसमें और भी सुधार करने की कोशिशें जारी हैं।

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पीएम मोदी ने की तारीफ

जीएसटी लागू होने के चार साल पूरा होने के मौके पर पीएम मोदी ने इस टैक्स सिस्टम की तारीफ की है। पीएम मोदी ने कहा कि जीएसटी भारत के इकोनॉमिक लैंडस्कैप में मील का पत्थर साबित हुआ है। इसने करों की संख्या घटाकर लोगों के सिर से करों के बोझ को कम किया है।

वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस वर्ष जीएसटी के मौके पर केंद्र सरकार 54000 जीएसटी भुगतानकर्ताओं को सम्मानित करने वाली है। वित्त राज्य मंत्री अनुराग तोमर का कहना है कि बीते 4 वर्षों में 400 वस्तुओं और 80 सेवाओं पर जीएसटी की दरें कम हुई हैं।

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