कोरोना की इस लहर में लोगों के पास पिछली बचत नहीं है, जिसके कारण लोग खर्च नहीं बढ़ा सकेंगे और बाजार में मांग भी नहीं बढ़ सकेगी। अगर लोगों के हाथ में पैसा पहुंचता रहता तो मांग बढ़ाने में मदद मिल सकती थी, लेकिन 12 फीसदी तक पहुंच चुकी बेरोजगारी दर ने स्थिति को अधिक संकटपूर्ण बना दिया है। देश में व्यापार विश्वास सूचकांक 51.5 अंक तक गिर गया है, जबकि इसके पहले के चरण में यह 74.2 अंक आंका गया था यानी व्यापारियों के बाजार के प्रति विश्वास में 23 अंक की भारी गिरावट आई है।
इस तरह बढ़ाई जा सकती है मांग-
सरकार के सामने दो सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं, बाजार में मांग कैसे बढ़ाई जाए और देश में बढ़ती बेरोजगारी को कैसे रोका जाए। इसके लिए सरकार के पास भारी योजनाओं में निवेश बढ़ाने का एकमात्र विकल्प मौजूद है। इससे बाजार में मांग व रोजगार का सृजन होगा।
मध्यम उद्योगों की स्थिति ज्यादा नाजुक-
मांग और रोजगार बढ़ाने में मध्यम और सूक्ष्म स्तर के उद्योग प्रमुख माने जाते हैं, लेकिन सरकार की मदद के सारे दावों के बाद भी इस क्षेत्र की स्थिति संकटपूर्ण बनी हुई है। पेट्रोल-डीजल की कीमतें उच्च स्तर तक पहुंचने के कारण माल ढुलाई की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है।
जल्द दिखेगा असर-
कोरोना की पहली लहर में उद्योगों को 21 लाख करोड़ रुपए की आर्थिक मदद दी गई थी। अब मांग बढ़ाने के लिए सरकार कई नई योजनाओं के जरिए निवेश कर रही है।