कंपनी का रुख और मूल्य वृद्धि की संभावनाएं (FMCG HIGH PRICE)
HUL, ITC, और पारले जैसी बड़ी FMCG कंपनियां (FMCG HIGH PRICE) अपने प्रोडक्ट्स के दाम में बढ़ोतरी का इशारा कर चुकी हैं। इन कंपनियों का कहना है कि उपभोक्ताओं तक इस बढ़ी हुई लागत को पहुंचाना अब मजबूरी बन गया है। कंपनियां धीरे-धीरे उत्पादों के विभिन्न वेरिएंट्स में मामूली बढ़ोतरी कर सकती हैं ताकि उपभोक्ताओं पर अचानक से भारी बोझ न पड़े। उदाहरण के तौर पर, बिस्किट के छोटे पैकेट्स में थोड़ी मात्रा घटाकर या दाम में हल्की वृद्धि कर लागत को संतुलित किया जा सकता है। ये भी पढ़े:- मुहूर्त ट्रेडिंग के दौरान शेयर बाजार में चढ़ाव, सेंसेक्स में 300 अंकों से ज्यादा की बढ़त, बैंकिंग क्षेत्र में जोरदार खरीदारी
शॉर्ट टर्म असर, लेकिन संभलने की उम्मीद
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (GCPL) के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ सुधीर सीतापति ने कहा कि यह एक अल्पकालिक झटका है, और हम समझदारी से मूल्य वृद्धि और लागत स्थिरीकरण के ज़रिए मार्जिन सुधार लाने का प्रयास करेंगे। डाबर इंडिया ने सितंबर तिमाही में चुनौतियों की बात कही है, जहां कंपनी का कंसोलिडेटेड शुद्ध मुनाफा 17.65 प्रतिशत गिरकर 417.52 करोड़ रुपये पर आ गया, और रेवेन्यू 5.46 प्रतिशत घटकर 3,028.59 करोड़ रुपये रह गया। नेस्ले इंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर सुरेश नारायणन ने मिडिल सेगमेंट पर बढ़ते दबाव पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि खाद्य महंगाई (FMCG HIGH PRICE) ने घरेलू बजट पर असर डाला है, साथ ही फल-सब्जियों और तेल की कीमतों में भी उछाल देखने को मिला है। नेस्ले के पास मैगी, किटकैट और नेस्कैफे जैसे प्रमुख ब्रांड हैं।बाजार में ग्रोथ सुस्त, शहरी उपभोक्ता खर्च में गिरावट
टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (TCPL) के सीईओ सुनील डिसूजा ने बताया कि शहरी क्षेत्रों में उपभोक्ता खर्च में कमी आई है। हिंदुस्तान यूनिलीवर के सीईओ रोहित जावा ने भी कहा कि तिमाही में बाजार की वॉल्यूम ग्रोथ सुस्त रही है। वहीं, मैरिको ने ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्रों की तुलना में सालाना आधार पर दोगुनी मांग वृद्धि दर्ज की है। आईटीसी ने भी बताया कि लागत बढ़ने से उनके मार्जिन में 0.35 प्रतिशत की गिरावट आई है। ये भी पढ़े:- दिवाली पर UPI ट्रांसजेक्शन 15 बिलियन के पार, विदेशी मुद्रा और स्वर्ण भंडार में भी वृद्धि